ग़ाज़ा में ‘मानवीय शहर’ बनाना एक बड़ी रणनीतिक ग़लती है: इज़रायली सेना
फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, अख़बार ‘यिसराएल हायोम’ ने इज़रायली सेना के चीफ़ ऑफ स्टाफ, एयाल ज़ामीर के हवाले से लिखा है कि ग़ाज़ा में ‘मानवीय शहर’ बनाना एक बड़ी रणनीतिक भूल है और सेना दो मिलियन फ़िलिस्तीनियों की देखभाल की ज़िम्मेदारी नहीं लेना चाहती।
एयाल ज़ामीर के यह बयान इस ओर इशारा करते हैं कि ग़ाज़ा युद्ध को लेकर नेतन्याहू कैबिनेट और सेना के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में सैन्य अभियान अपने अंतिम चरण में पहुँच गया है और अब कैबिनेट को आगे की स्थिति को लेकर स्पष्ट निर्णय लेना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इज़रायली बंधकों की रिहाई के लिए कोई समझौता होता है, तो वह ऐसा समझौता होना चाहिए जिसमें ग़ाज़ा पट्टी को निःशस्त्र किया जाए और हमास की उपस्थिति समाप्त हो। हम युद्ध-विराम के बाद की परिस्थितियों का सामना करने को तैयार हैं।
ज़ामीर के अनुसार, यदि कोई समझौता नहीं होता है, तो दो विकल्प बचे हैं: या तो ग़ाज़ा पट्टी पर पूर्ण कब्ज़ा किया जाए, या ‘गिडेओन वैगन’ नामक सैन्य अभियान को जारी रखा जाए, जिसका बोझ सेना और सैनिकों पर भारी पड़ेगा। इज़रायली चैनल 7 की रिपोर्ट के अनुसार, ग़ाज़ा में तैनात 420वीं बटालियन के डिप्टी कमांडर ने कहा कि “हमारा दुश्मन और अधिक साहसी होता जा रहा है और हम लगातार हमले कर रहे हैं।”
इज़रायली सेना ने अपनी ताज़ा बैठक में कहा कि रफ़ा इलाके में ‘मानवीय शहर’ बनाने में एक साल से ज़्यादा का समय और लगभग 10 से 15 अरब डॉलर का खर्च आएगा। जबकि पहले यह दावा किया गया था कि इस शहर को 6 महीने में बनाया जा सकता है और इसमें ग़ाज़ा के लाखों निवासियों को बड़े-बड़े टेंटों में बसाया जाएगा।
बैठक में मौजूद लोगों ने बताया कि नेतन्याहू सेना के इस आकलन से नाराज़ हो गए और उन्होंने सेना से ज़्यादा यथार्थवादी और व्यावहारिक टाइमलाइन पेश करने को कहा। नेतन्याहू ने ज़ोर देते हुए कहा कि इस योजना को छोटा, सस्ता और ज़्यादा लागू करने योग्य बनाना होगा। बैठक में यह आकलन भी सामने आया कि इज़रायली सेना स्वयं ‘मानवीय शहर’ की योजना को विफल करना चाहती है। एक योजना जो पहले ही दुनिया भर में आलोचनाओं का सामना कर रही है।

