लेबनान में इज़रायली जासूस के बरी होने पर विवाद, न्यायिक स्वतंत्रता पर सवाल
लेबनान सांसद हसन इज़्ज़ुद्दीन ने गुरुवार को अपने देश के क़ानून मंत्री से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि, आखिर क्यों इज़रायल से जुड़े लोगों, ख़ासकर मुहीउद्दीन हस्सने, को रिहा और बरी किया गया। इज़्ज़ुद्दीन ने यह मांग अपनी संसदीय फ्रैक्शन की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की। इस बैठक में “प्रतिरोध के साथ वफ़ादारी ” फ्रैक्शन के दूसरे सांसद हुसैन अल-हाज हसन भी मौजूद थे। यह प्रतिक्रिया उस फैसले के बाद सामने आई, जिसमें सैन्य अपील अदालत ने मुहीउद्दीन हस्सने को पूरी तरह बरी कर दिया, जबकि उन्हें पहले स्थायी सैन्य अदालत ने दोषी ठहराया था।
इज़्ज़ुद्दीन ने कहा कि हालिया इज़रायली हमलों में दुश्मन ने अपने जासूसी नेटवर्क और घुसपैठियों के ज़रिये लेबनान की आंतरिक संचार प्रणाली का इस्तेमाल किया और जासूसी उपकरण लगाए। उन्होंने चेतावनी दी कि, “क़ब्ज़ा करने वाली ताकतों से जुड़े लोगों को बरी करना और रिहा करना एक राजनीतिक और कानूनी गड़बड़ी है।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि, क्या लेबनान की न्यायिक और राजनीतिक संस्थाओं पर बाहरी दबाव डालकर दुश्मन के एजेंटों को रिहा करवाया गया। उन्होंने ज़ोर दिया कि, संसद के माध्यम से इस मामले को आगे बढ़ाया जाएगा ताकि न्यायिक प्रक्रिया सुधरे और उसकी स्वतंत्रता बरकरार रहे।
मुहीउद्दीन हस्सने, जो पेशे से दूरसंचार इंजीनियर है, को मार्च 2025 में स्थायी सैन्य अदालत ने इज़रायल से सहयोग करने का दोषी ठहराया था। सुरक्षा रिपोर्टों के मुताबिक, उस पर आरोप था कि उसने बेरूत और दक्षिणी उपनगरों के संवेदनशील इलाकों का वाई-फ़ाई डेटा दुश्मन तक पहुँचाया और आधुनिक उपकरणों से दूरसंचार नेटवर्क की फ्रीक्वेंसी स्कैन की। इसे लेबनानी सुरक्षा संस्थाओं ने “संचार क्षेत्र में सबसे बड़ी सुरक्षा सेंध” बताया था।
लेकिन सितंबर 2025 में सैन्य अपील अदालत ने उन्हें पूरी तरह बरी कर दिया और कहा कि, उनके ख़िलाफ़ जासूसी या इज़रायल से सहयोग के कोई ठोस सबूत नहीं हैं। उनके परिवार ने भी एक बयान जारी कर “मीडिया हमलों” को बंद करने की अपील की। यह मामला अब लेबनान की प्रतिरोधी ताक़तों और न्यायिक संस्थाओं के बीच तनाव का कारण बन गया है और घरेलू व क्षेत्रीय मीडिया में इसकी व्यापक चर्चा हो रही है।

