कोलंबिया के राष्ट्रपति ने NATO के साथ वैश्विक सहयोग न करने की अपील की
कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में आयोजित पहले “ला हे ग्रुप मंत्री सम्मेलन” के दौरान राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने कहा कि उनका देश मानवता की रक्षा के लिए एक सैन्य गठबंधन की अवधारणा का समर्थन करता है, लेकिन उन्होंने इस पर ज़ोर दिया कि NATO के कुछ सदस्यों द्वारा इज़रायल के हमलों का समर्थन करना मानवीय मूल्यों के खिलाफ है।
पेट्रो ने यह भी घोषणा की कि कोलंबिया इज़रायल को कोयले का निर्यात बंद करने का इरादा रखता है। उन्होंने कहा, “कोलंबियाई कोयला उन हथियारों के निर्माण में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए जो निर्दोष फिलिस्तीनियों की जान को खतरे में डालते हैं।”
राष्ट्रपति पेट्रो ने आगे कहा कि कोलंबिया अब इज़रायली ब्रांड्स के बजाय फ़िलिस्तीनी उत्पादों जैसे जैतून का तेल खरीदना पसंद करेगा। उन्होंने कहा: “हम फ़िलिस्तीन के लिए दो-राष्ट्र समाधान में विश्वास रखते हैं और बिना भेदभाव के अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के पालन का समर्थन करते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों को अब अंतरराष्ट्रीय समीकरणों को बदलने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा: “फ़िलिस्तीन को आज़ाद होना चाहिए और दुनिया को मिलकर अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।”
ईरना ने इक्वाडोर की समाचार एजेंसी Telesur के हवाले से लिखा कि NATO एक सैन्य गठबंधन है जिसमें 31 यूरोपीय देश और दो उत्तरी अमेरिकी देश शामिल हैं। यह एक सामूहिक रक्षा प्रणाली के तहत काम करता है। NATO को लैटिन अमेरिका में कोलंबिया, अर्जेंटीना और ब्राज़ील के ज़रिए प्रभाव मिला है जिन्हें “मुख्य गैर-NATO सहयोगी” माना जाता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोलंबिया को औपचारिक रूप से वॉशिंगटन का प्रमुख गैर-NATO सहयोगी घोषित किया था। अर्जेंटीना और ब्राज़ील क्रमशः 1998 और 2019 से इस स्थिति में हैं।
यह ऐतिहासिक दो-दिवसीय सम्मेलन, जिसे बोगोटा सम्मेलन के नाम से जाना जा रहा है का उद्देश्य ग़ाज़ा पर इज़रायली हमलों को रोकने के लिए कानूनी और कूटनीतिक उपाय तैयार करना है। यह सम्मेलन वैश्विक दक्षिण देशों की अगुवाई में एक नए बहुपक्षीय युग की शुरुआत को दर्शाता है, जो पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की विफलता और Global North की कानूनी व्याख्या पर आधारित हेजेमनी (वर्चस्व) को नकारता है।
15 और 16 जुलाई 2025 को बोगोटा में आयोजित इस सम्मेलन की पहल गुस्तावो पेट्रो ने की थी, जिसका उद्देश्य ग़ाज़ा में जारी इंसानी संकट और इज़रायल द्वारा किए जा रहे नरसंहार पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना है। सम्मेलन के पहले दिन कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका की संयुक्त अध्यक्षता में लगभग 30 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए और इस बैठक की शुरुआत इज़राइल के हमलों की एकस्वर निंदा के साथ हुई।

