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यमन में सीआईए और मोसाद की जासूसी गतिविधियां विफल

यमन में सीआईए और मोसाद की जासूसी गतिविधियां विफल

यमन के सुरक्षा बलों ने एक बार फिर अपनी क्षमता और मजबूत इरादे का परिचय देते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआईए) और इज़रायली खुफिया एजेंसी (मोसाद) की जासूसी गतिविधियों को विफल कर दिया। यमन की सुरक्षा एजेंसियों ने यह सफलता अपने सतर्क प्रयासों के माध्यम से हासिल की। यमन के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने सबा समाचार एजेंसी को बताया कि इन विफलताओं के बारे में विस्तृत जानकारी आने वाले घंटों में सार्वजनिक की जाएगी।

यह घटनाक्रम ऐसे समय पर आया है जब इज़रायली कब्जाधारी सेना ने यमन पर अपने चौथे हवाई हमले की योजना बनाई है। इससे पहले, 28 दिसंबर की सुबह, इज़रायल ने यमन के खिलाफ तीसरा बड़ा हमला किया, जिसमें 30 मिसाइलों के माध्यम से सनआ प्रांत के दक्षिण और उत्तर में हजीज और ज़हबान के बिजली संयंत्रों, हुदैदाह बंदरगाह और रासे इसा की तेल सुविधाओं को निशाना बनाया गया। इन हमलों में न केवल यमन के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि निर्दोष नागरिकों को भी निशाना बनाया गया।

हमलों के परिणामस्वरूप सनआ के बिजली संयंत्रों में भीषण आग लग गई, जिससे प्रांत के कुछ क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई। इसके अलावा, बंदरगाह अल-सलीफ पर हुए हमले में सात यमनी नागरिक शहीद हो गए, जबकि रासे इसा की तेल सुविधाओं पर हमले में दो और नागरिकों ने अपनी जान गंवाई। हुदैदाह बंदरगाह पर हुए हमले में सात लोग घायल हुए। यह घटनाएं इज़रायली और उसके सहयोगियों की उस रणनीति को दर्शाती हैं, जो यमन को अस्थिर करने और उसके संप्रभु अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश में लगी हुई है।

यमन की जनता और उसकी सुरक्षा एजेंसियां इन हमलों और जासूसी गतिविधियों के बावजूद मजबूत इरादों के साथ खड़ी हैं। यमन के नेता और लोग यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे अपने संप्रभु अधिकारों और स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे। इजरायल और अमेरिका की आक्रामक नीतियां यमन को झुकाने में असफल हो रही हैं।

यह हमले केवल यमन के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका मकसद यमनी जनता के मनोबल को कमजोर करना है। लेकिन यमन ने बार-बार यह साबित किया है कि वह अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हर चुनौती का सामना करेगा।

यमन के लिए यह समय अत्यंत कठिन है, लेकिन इन कठिनाइयों ने यमनी प्रतिरोध को और अधिक दृढ़ बना दिया है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह यमन पर हो रहे इस अन्याय को रोके और इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए कदम उठाए। यमन की संप्रभुता का समर्थन करना मानवता और न्याय की रक्षा के लिए एक आवश्यक कदम है।

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