सुवैदा में अल-जूलानी की सेनाओं के प्रवेश पर रोक
सुवैदा शहर में सशस्त्र समूहों ने सैन्य अभियानों के प्रशासन से जुड़े एक सैन्य काफिले को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया है। इस घटना ने सीरियाई संघर्ष में नई जटिलताएं जोड़ दी हैं। सूत्रों के अनुसार, यह सैन्य काफिला कमांड मुख्यालय के आदेशों की प्रतीक्षा कर रहा है ताकि संघर्ष और टकराव की स्थिति से बचा जा सके।
सुवैदा के सशस्त्र समूहों की प्रतिक्रिया
सशस्त्र समूहों ने स्पष्ट रूप से इस काफिले को चेतावनी दी कि वह तुरंत दमिश्क लौट जाए। यह रुख दर्शाता है कि सुवैदा में सशस्त्र समूह किसी भी बाहरी सैन्य हस्तक्षेप को अस्वीकार कर रहे हैं और अपने क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं।
सुवैदा की स्थिति पर अबू मोहम्मद अल-जूलानी का, जो हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के प्रमुख हैं, पहले से ही सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज़ (SDF) के साथ टकराव में रहा है। अल-जूलानी ने SDF को कड़ी चेतावनी दी थी कि या तो वे पीछे हटें या फिर सैन्य कार्रवाई का सामना करें।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
तटीय शहरों से आई वीडियो सामग्री से स्पष्ट होता है कि सशस्त्र विद्रोहियों द्वारा सीरिया के नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ प्रतिशोध और अराजकता की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह स्थिति सीरिया में बढ़ते असंतोष और विद्रोहियों के व्यापक प्रभाव को दर्शाती है।
सशस्त्र समूहों की ताकत
सुवैदा में सैन्य हस्तक्षेप की विफलता यह संकेत देती है कि सीरियाई शासन के लिए क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। सुवैदा में स्थानीय सशस्त्र समूहों का इस प्रकार का प्रभाव दिखाता है कि ये समूह अपने हितों के लिए बाहरी सैन्य हस्तक्षेप का विरोध करने में सक्षम हैं।
अल-जूलानी और उनके नेतृत्व वाले HTS का SDF और अन्य समूहों के साथ टकराव लगातार बढ़ रहा है। यदि सुवैदा में सैन्य काफिले को वापसी के आदेश दिए जाते हैं, तो यह सशस्त्र समूहों के लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी। वहीं, यदि कमांड मुख्यालय सैन्य हस्तक्षेप का आदेश देता है, तो सुवैदा में हिंसक संघर्ष तेज हो सकता है।
सीरिया के तटीय क्षेत्रों में अराजकता और अल्पसंख्यकों पर हमले, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवीय संकट के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला सकते हैं। यह स्थिति स्पष्ट रूप से सीरियाई संघर्ष के गहराते संकट और क्षेत्रीय संतुलन पर पड़ते प्रभावों को उजागर करती है।