नासिर अस्पताल पर इज़रायली हमले को झूठ से ढकने की कोशिश: ग़ाज़ा सरकार
ग़ाज़ा की स्थानीय सरकार ने मंगलवार रात कड़े शब्दों में कहा कि, इज़रायली कब्ज़ाधारियों ने नासिर अस्पताल में हुए भयानक नरसंहार को सही ठहराने के लिए झूठी कहानियाँ गढ़ी हैं। ग़ाज़ा सरकार के मीडिया दफ़्तर ने साफ़ कहा: “इज़रायली फ़ौज ने नासिर मेडिकल कॉम्प्लेक्स में जो ख़ून ख़राबा किया है, उसे छुपाने के लिए एक झूठा बयान जारी किया गया।”
अल-जज़ीरा के अनुसार, इज़रायली सेना ने दावा किया कि, उनका हवाई हमला अस्पताल के पास एक कैमरे पर हुआ, लेकिन असलियत में वह कैमरा रॉयटर्स एजेंसी के एक पत्रकार का था। बयान में कहा गया कि जब नागरिक बचाव दल और पत्रकार घायलों को निकालने पहुँचे, तो इज़रायली सेना ने उन पर जानबूझकर सीधा हमला किया।
ग़ाज़ा सरकार ने यह भी बताया कि इज़रायल ने छह शहीदों की सूची जारी कर उन्हें “आतंकवादी” बताने की कोशिश की, जबकि हक़ीक़त यह है कि उनमें से कुछ लोग अस्पताल से बाहर मारे गए थे। और जो लोग अस्पताल की सीढ़ियों पर बमबारी के समय मौजूद थे, वे सब नाम और पेशे से पहचाने जाते हैं — कोई भी “आतंकी” नहीं था।
ग़ाज़ा सरकार ने इस हमले को न केवल इंसानियत के ख़िलाफ़ अपराध बताया बल्कि इसे मीडिया को डराने और सच सामने लाने से रोकने की साज़िश करार दिया। बयान में कहा गया: “इज़रायली फ़ौज ने नासिर अस्पताल को युद्ध का मैदान बना दिया है। यह हमला साबित करता है कि इज़रायल बेगुनाहों की जान लेने और अस्पतालों जैसे सुरक्षित ठिकानों को तबाह करने में भी कोई झिझक नहीं रखता।”
सरकार ने यह भी कहा कि, नस्र अस्पताल पर हमला कोई अलग घटना नहीं, बल्कि इज़रायल की उसी लंबी नीति का हिस्सा है, जिसके तहत ग़ाज़ा की अस्पतालों, स्कूलों और शरणार्थी कैम्पों को बार-बार निशाना बनाया गया है। अल-शिफ़ा और इंडोनेशियन अस्पताल पहले ही तबाह किए जा चुके हैं। कई बार स्कूलों और मस्जिदों पर हमले कर वहाँ शरण लिए बच्चों और महिलाओं को मार डाला गया। इन हमलों ने ग़ाज़ा को एक खुले क़ब्रिस्तान में बदल दिया है।
बयान में ज़ोर देकर कहा गया: “अस्पताल और स्कूल, जिन्हें सुरक्षित ठिकाना होना चाहिए था, अब इज़रायल के बमबारी के निशाने पर हैं। यह नरसंहार सिर्फ ग़ाज़ा के लोगों पर हमला नहीं, बल्कि इंसानियत पर सीधा हमला है।”

