सीरिया पर होने वाले हमलों का पहले से अंदाज़ा था: अराक़ची
इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने सीरिया पर हालिया इज़रायली हमलों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि, यह हमला पूरी तरह से पूर्वानुमान योग्य था। ईरना की बुधवार रात की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्री ने अपने संदेश में लिखा:
“दुर्भाग्यवश, यह हमला पूरी तरह से अनुमानित था। अगली राजधानी कौन सी होगी?”
उन्होंने आगे कहा:
यह बर्बर और बेलगाम इज़रायली शासन किसी सीमा को नहीं मानता और सिर्फ एक ही भाषा समझता है। पूरी दुनिया, विशेषकर इस क्षेत्र को, इस पागलपन भरी आक्रामकता को रोकने के लिए एकजुट होना चाहिए।”
अराक़ची ने यह भी दोहराया कि:
ईरान, सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है और हमेशा सीरियाई जनता के साथ खड़ा रहेगा। ईरना के मुताबिक, इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने भी दक्षिणी सीरिया के स्वैदा क्षेत्र में हुई हिंसक झड़पों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी, जिनमें दर्जनों आम नागरिक मारे गए थे।
बक़ाई ने कहा कि:
इज़रायली शासन द्वारा क्षेत्रीय देशों पर लगातार हो रहे हमलों के प्रति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निष्क्रियता बेहद खतरनाक है और इससे इस अवैध शासन के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इज़रायली शासन के सैन्य हमले, सीरियाई क्षेत्र पर लंबे समय से जारी क़ब्ज़ा, और उसके साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन — इन सबका मूकदर्शक बने रहना पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए चिंता का विषय है।उन्होंने मुस्लिम देशों और क्षेत्रीय सरकारों से अपील की कि, इज़रायली शासन द्वारा ग़ाज़ा में हो रहे अभूतपूर्व नरसंहार और सीरिया व लेबनान पर लगातार किए जा रहे हमलों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं।
पृष्ठभूमि में, बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद, सीरिया के विभिन्न हिस्सों में समय-समय पर झड़पें होती रही हैं, खासकर स्वैदा क्षेत्र में, जहां अल्पसंख्यक द्रूज़ समुदाय की टकरावें जूलानी के नेतृत्व वाली चरमपंथी गुट ‘तहरीर अल-शाम’ से होती रही हैं।
एक तरफ़, सीरिया के धार्मिक व जातीय अल्पसंख्यक नए शासन में शामिल चरमपंथी तत्वों की तानाशाही और संकीर्ण विचारधारा से डरे हुए हैं, तो दूसरी तरफ़ इज़रायली शासन लगातार सीरिया की सैन्य क्षमताओं पर हमले कर रहा है और वहां की पहचान, नस्ल व संस्कृति के आधार पर समर्थन देकर देश को टुकड़ों में बांटने की कोशिश में लगा है, ताकि वह एक कमज़ोर और विभाजित राष्ट्र बन जाए।

