परमाणु ऊर्जा एजेंसी का ईरान में प्रवेश, सुरक्षा परिषद के निर्णय से हुआ: अराक़ची
तेहरान से मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों के ईरान आगमन पर विस्तृत स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की अनुमति और निर्णय के बाद उठाया गया है और इसका उद्देश्य सिर्फ़ बुशहर परमाणु बिजलीघर में ईंधन बदलने की प्रक्रिया पर नज़र रखना है।
विदेश मंत्री अराक़ची ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ईरान और एजेंसी के बीच किसी भी नए सहयोग ढाँचे (framework) पर अंतिम समझौता नहीं हुआ है। उनके अनुसार, दोनों पक्षों के बीच केवल विचारों का आदान-प्रदान और लिखित सुझावों का लेन-देन हुआ है, लेकिन इसे “अंतिम पाठ” बताना ग़लत और असमय है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कहना कि कोई नया मॉडैलिटी (modus operandi) या समझौता तय हो चुका है, वास्तविकता से मेल नहीं खाता।
उन्होंने संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति की बैठक में भी शिरकत की और बताया कि वहाँ कई मुद्दों पर चर्चा हुई—जिनमें अर्मेनिया और आज़रबैजान के बीच मार्ग और समझौता, यूरोपीय देशों के साथ चल रही परमाणु वार्ताएँ, एजेंसी के साथ सहयोग, स्नैप-बैक तंत्र और उसके विस्तार का विषय शामिल था। अराक़ची ने कहा कि, सांसदों ने रचनात्मक और उपयोगी सुझाव दिए, जो आगे की नीतियों में मार्गदर्शक होंगे।
इस पूरे घटनाक्रम का मक़सद यह दिखाना है कि ईरान अंतर्राष्ट्रीय नियमों के भीतर रहते हुए अपने राष्ट्रीय हितों और संसद के क़ानूनों की रक्षा कर रहा है। बुशहर संयंत्र का ईंधन बदलना एक तकनीकी और नियमित प्रक्रिया है, और निरीक्षकों की मौजूदगी उसी दायरे में सीमित है, जबकि ईरान अपनी संप्रभुता और रणनीतिक निर्णयों पर कोई समझौता नहीं करेगा।

