अरब नेताओं ने ग़ाज़ा शांति योजना में ट्रंप के बदलाव पर नाराज़गी जताई: एक्सिओस
अमेरिकी वेबसाइट एक्सिओस ने रिपोर्ट दी है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग़ाज़ा शांति योजना को आख़री वक़्त में बदल दिया गया, जिससे अरब नेताओं में नाराज़गी है। फिलिस्तीनी न्यूज़ एजेंसी मआ ने एक्सिओस के हवाले से लिखा कि, जो समझौता हमास को पेश किया गया, वह उस समझौते से काफ़ी अलग था जिस पर अमेरिका और अरब-इस्लामी देशों ने सहमति जताई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, एक्सिओस ने बताया कि इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले इसमें बदलाव कर दिए। ये बदलाव नेतन्याहू और इज़रायल के रणनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर ने अमेरिकी दूत स्टीव वेटकॉफ़ और ट्रंप के दामाद जारेड कुश्नर के साथ मुलाकात में किए।
ख़ास तौर पर, नेतन्याहू ने उन धाराओं में संशोधन कराया जो ग़ाज़ा से इज़रायल की वापसी की शर्तों और समयसीमा से जुड़ी थीं। इसके बाद सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन और तुर्की के अधिकारियों ने इन बदलावों पर अपना ग़ुस्सा ज़ाहिर किया।
ट्रंप ने सोमवार रात नेतन्याहू की मौजूदगी में अपनी 20 बिंदुओं वाली योजना का ऐलान किया। हालांकि उनका दावा है कि, ग़ाज़ा युद्ध को ख़त्म करना और पुनर्निर्माण करना मक़सद है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि, असल में यह योजना ग़ाज़ा को निरस्त्र करने पर ज़्यादा केंद्रित है, न कि नागरिकों की सुरक्षा पर।
ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने चेतावनी दी कि, अगर पुनर्निर्माण या युद्ध-विराम ग़ाज़ा की नाकेबंदी हटाए बिना और आवाजाही की स्वतंत्रता सुनिश्चित किए बिना होता है, तो मानवीय संकट जारी रहेगा। एक विश्लेषक ने अल-जज़ीरा से कहा कि, ट्रंप ग़ाज़ा को “आर्थिक मुक्त क्षेत्र” जैसा बनाना चाहते हैं, लेकिन बिना असली आज़ादी दिए। यानी विकास नियंत्रण के लिए होगा, आज़ादी के लिए नहीं।
आलोचना का एक बड़ा हिस्सा ट्रंप की बनाई “पीस टीम” से भी जुड़ा है जिसमें टोनी ब्लेयर जैसे नाम शामिल हैं। अल-कुद्स अल-अरबी ने इसे “नए तरह की अंतरराष्ट्रीय संरक्षकता” बताया, जबकि रिस्पॉन्सिबल स्टेटक्राफ्ट ने लिखा कि, यह संरचना फ़िलिस्तीनियों की राजनीतिक स्वतंत्रता को कमज़ोर करेगी।
इस योजना में स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना का ज़िक्र तक नहीं है। वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि यह असल समाधान के बजाय “संकट प्रबंधन” का मॉडल है। अरब विश्लेषकों का कहना है कि यह रवैया फ़िलिस्तीनी आंतरिक मतभेद बढ़ा सकता है और फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी पर लोगों का भरोसा और घटा सकता है।
साथ ही, योजना में पूरे ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण की बात नहीं है। अल-जज़ीरा ने बताया कि कार्यकर्ता आशंकित हैं कि, मरम्मत सिर्फ चुनिंदा और नियंत्रण वाले इलाकों में होगी, जबकि नाकेबंदी बनी रहेगी। कुल मिलाकर, ट्रंप की इस योजना पर पश्चिमी हलकों में भी गंभीर संदेह है। पॉलिटिको ने लिखा कि यह योजना शांति की दस्तावेज़ से ज़्यादा ट्रंप की अगली चुनावी रणनीति का हिस्सा लगती है।

