आयतुल्लाह ख़ामेनई की अपील , बड़ी गलती सुधारें मुस्लिम देश ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामनेई ने इस्राईल को अतिक्रमणकारी शासन बताते हुए मुस्लिम देशों से अपनी गलती सुधारने की अपील की है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने इस्राईल के साथ संबंधों को सामान्य करने वाले देशों से “बड़ी गलती” से लौटने का आह्वान किया है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने यह बयान इस्लामिक एकता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभागियों के स्वागत के दौरान दिया, जो हर साल तेहरान में पैगमबर साहब के जन्म की सालगिरह पर आयोजित किया जाता है।
आई मॉनिटर 24 की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनई ने अरब देशों से इस मुद्दे को उलटने और “इस बड़ी गलती ” को सुधारते हुए इस्राईल के साथ संबंध ना रखने का आह्वान किया है।
आयतुल्लाह अली ख़ामेनई ने कहा: “जिन सरकारों ने हाल की अवधि में एक बड़ी गलती की है और ज़ालिम शासन के साथ अपने स्नबन्धों को सामान्य किया है, उन्हें इस दृष्टिकोण को वापस लेना चाहिए और अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
यह बयान इस्लामिक एकता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभागियों के स्वागत के दौरान दिया गया , जो हर साल तेहरान में पैगंबर साहब के जन्मदिवस की सालगिरह पर आयोजित किया जाता है। उन्होंने कहा उन्हें इस बड़ी गलती और इस्लामी एकता के खिलाफ इस कदम की भरपाई करनी चाहिए।
आयतुल्लाह ख़ामेनई का मानना है फिलिस्तीन का मुद्दा मुसलमानों की एकता का मुख्य संकेतक है, और यदि उनके बीच एकता हासिल की जाती है, तो फिलिस्तीन का मुद्दा निश्चित रूप से सबसे अच्छे तरीके से हल हो जाएगा।
उन्होंने कहा, फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को बहाल करने के लिए हम इस मुद्दे को और अधिक गंभीरता से लें, ऐसे हम मुस्लिम संघ के करीब पहुंचेंगे।
सितंबर 2020 से, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के प्रत्यक्ष दबाव में, चार अरब देशों, अर्थात् संयुक्त अरब अमीरात, बहरैन, सूडान और मोरक्को ने इस्राईल के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इस प्रकार यह देश भी इस्राईल एक साथ संबंध स्थापित करते हुए मिस्र और जॉर्डन की लिस्ट में शामिल हो गए थे जिन्होंने क्रमशः 1979 और 1994 में इस्राईल सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।