यूरोप के साथ सहमति बन गई थी, लेकिन अमेरिका स्नैपबैक लागू करना चाहता था: पेज़ेश्कियान
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने हाल ही में परमाणु वार्ताओं की प्रक्रिया पर बोलते हुए कहा कि, हमारा यूरोपीय के साथ परमाणु समझौता हो चुका था, लेकिन अमेरिका “स्नैप-बैक” मैकेनिज़्म लागू करना चाहता था। पेज़ेश्कियान ने परमाणु वार्ताओं की प्रक्रिया पर बोलते हुए ईरान की स्थिति और पश्चिमी देशों के साथ मतभेदों पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने यूरोपीय देशों के साथ हाल की बातचीत का ज़िक्र करते हुए कहा:
हमने यूरोपीय देशों के साथ बातचीत में अहम समझौते हासिल किए और कई मामलों में उन्होंने सहयोग दिखाया। लेकिन असली समस्या अमेरिका की तरफ से थी, जो तथाकथित स्नैप-बैक मैकेनिज़्म को सक्रिय करने पर अड़ा हुआ था।”
पेज़ेश्कियान ने स्पष्ट किया कि, ईरान का रुख शुरू से ही साफ रहा है:
हम ऐसा कोई समझौता स्वीकार नहीं करेंगे जिसमें ईरानी जनता के हितों के ख़िलाफ़ कोई धमकी या मैकेनिज़्म शामिल हो। यह मैकेनिज़्म, यानी अपने-आप से पाबंदियां वापस लागू करने की प्रक्रिया, वही हथकंडा है जिसने पिछले परमाणु समझौते (बरजाम) में ईरानी जनता को नुक़सान पहुँचाया और पश्चिम पर गहरा अविश्वास पैदा किया।”
उन्होंने आगे कहा:
यूरोपीय पक्ष ने इस मुद्दे पर ज़्यादा लचीलापन दिखाया और समझा कि, आगे बढ़ने का रास्ता ईरानी जनता के अधिकारों की गारंटी के बिना संभव नहीं है। लेकिन अमेरिकी पक्ष न तो कोई गारंटी देने को तैयार था और न ही उसने अपनी पुरानी शर्तों को छोड़ने की कोशिश की। जबकि ईरान बार-बार कह चुका है कि, वही समझौता मान्य होगा जिसमें हमारे राष्ट्रीय अधिकार और हित पूरी तरह सुरक्षित हों।”
राष्ट्रपति ने ज़ोर देकर कहा:
हम सकारात्मक और तार्किक बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उम्मीद है कि सामने वाला पक्ष भी यथार्थवादी रवैये और बिना दबाव-धमकी के वार्ता में शामिल होगा। अगर पुरानी नीतियां दोहराई गईं, तो कोई भी स्थायी समझौता संभव नहीं होगा।”
अंत में पेज़ेश्कियान ने कहा:
ईरानी जनता बार-बार साबित कर चुकी है कि, वह बाहरी दबावों के सामने डटकर खड़ी होती है। इसलिए हर समझौता आपसी सम्मान और हमारे अधिकारों की वास्तविक गारंटी पर आधारित होना चाहिए, न कि ऐसे मैकेनिज़्म पर, जो सिर्फ़ दबाव बनाने के लिए बनाए गए हों।”

