ईरान-इज़रायल युद्ध का असली मास्टरमाइंड अमेरिका था: अली लारीजानी
ईरान के सर्वोच्च नेता के वरिष्ठ सलाहकार अली लारीजानी ने एक बड़े बयान में कहा है कि हालिया 12 दिनी युद्ध की असली योजना अमेरिका ने बनाई थी और इस युद्ध का कमांड भी अमेरिका के हाथ में था। उन्होंने दावा किया कि, युद्ध के दौरान उन्हें प्रत्यक्ष रूप से जान से मारने की धमकी दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि “12 घंटे में देश छोड़ दो, वरना मारे जाओगे।”
लारीजानी ने बताया कि युद्ध की शुरुआत में ईरान की सैन्य स्थिति इज़रायल की तुलना में कमजोर थी और इज़रायल की योजना थी कि, वह पहले ईरान के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाए और फिर सीधे सुप्रीम लीडर को टारगेट करे। लेकिन जनता की एकजुटता ने इन योजनाओं को नाकाम कर दिया।
उन्होंने बताया कि इस युद्ध में अमेरिका और इज़रायल ने सोचा था कि, ईरानी जनता सरकार से दूरी बना लेगी, लेकिन इसके उलट, जनता और सरकार में और अधिक एकता देखने को मिली। युद्ध के दौरान ईरानी मिसाइलों की ताक़त ने समीकरण बदल दिए और अमेरिका-इज़रायल की योजनाएं विफल हो गईं।
लारीजानी के अनुसार, 31 जून को मध्यस्थों की एंट्री हुई और इज़रायल की कमजोर स्थिति को देखकर युद्ध खत्म करने की कोशिशें तेज़ हुईं। उन्होंने खुलासा किया कि ट्रंप ने शुरुआत में कहा कि दो हफ्ते रुकेंगे, लेकिन दो दिन बाद ही हमला शुरू करवा दिया।
उन्होंने अमेरिकी दावे को खारिज करते हुए बताया कि ईरान ने क़तर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर 6 भारी वॉरहेड मिसाइलें दागीं, लेकिन ट्रम्प ने झूठ बोला कि केवल एक मिसाइल लगी। लारीजानी ने यह भी बताया कि अमेरिका ने ईरान की परमाणु साइट्स (फ़ोर्दो, नतंज, इस्फहान) पर हमले किए लेकिन इससे ईरान का मनोबल नहीं टूटा।
सर्वे में 60% अमेरिकी नागरिकों ने ईरान को इस युद्ध में विजयी माना
उन्होंने कहा कि इज़रायल की पूरी योजना ईरानी सिस्टम को गिराने की थी, लेकिन वो ईरानी संस्कृति और पहचान की ताक़त को समझ ही नहीं पाए। 60% अमेरिकी नागरिकों ने सर्वे में माना कि ईरान इस युद्ध में विजयी रहा।
लारीजानी ने कहा कि इस युद्ध में 18 ईरानी सैन्य कमांडर शहीद हुए, लेकिन उनके खून ने एक नई क्रांति को जन्म दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामी नेतृत्व ने पहले ही दिन नेतन्याहू की धमकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने यूरोपीय देशों को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि तीन यूरोपीय देश खुलकर इज़रायल के साथ खड़े थे, और अब ईरान को IAEA और NPT के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
कई अरब देश ईरान की जीत के लिए दुआ कर रहे थे
लारीजानी ने यह भी कहा कि इस युद्ध के बाद कई अरब देश ईरान की जीत के लिए दुआ कर रहे थे और खुलेआम समर्थन दे रहे थे। क्षेत्र में इज़रायल का डर खत्म हो गया है और कई देशों ने उससे दूरी बना ली है। अंत में, लारीजानी ने कहा कि यह युद्ध ईरान के लिए ईश्वरीय रहमत और नेतृत्व की ताक़त का प्रतीक था, और अब ईरान फिर से अपनी ताक़त को संजोएगा और भविष्य के लिए तैयार रहेगा।

