क़ासिम सुलैमानी और अबु महदी की शहादत के कारण अमेरिका को मिडिल ईस्ट से निकलना ही होगा सरदार क़ासिम सुलैमानी और अबू महदी की शहादत की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर अल-हशद अल-शबी संगठन के प्रमुख फालेह अल फ़ैयाज़ ने जोर देकर कहा कि दोनों शहीदों ने अपने खून से मूल्यों को दर्ज किया है।
सरदार क़ासिम सुलैमानी और अबू महदी की शहादत की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर अल-ग़दीर समाचार नेटवर्क ने अल फ़ैयाज़ के हवाले से कहा कि विजयी कमांडरों की हत्या के अपराध की गूंज फैल रही है और हम खून बहाकर असफल नहीं होंगे क्योंकि हम इमाम हुसैन के वारिस हैं।
अल-हशद अल-शबी संगठन के प्रमुख ने कहा कि कल सड़कों पर उतरी भारी भीड़ जानलेवा अमेरिकी सरकार के लिए एक संदेश था। क़ासिम सुलैमानी और अबु महदी की शहादत के कारण अमेरिका को मिडिल ईस्ट से निकलना ही होगा। अल फ़ैयाज़ ने कहा कि वर्तमान अमेरिकी प्रशासन को डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के नक्शेकदम पर नहीं चलना चाहिए, इस प्रशासन को एक सबक सीखना चाहिए … हम अमेरिकी प्रशासन को एक संदेश भेज रहे हैं कि इराक अमेरिकी सेना के इराक में मौजूद होने से संतुष्ट नहीं है।अल फ़ैयाज़ ने कहा कि जीत के कमांडरों के लिए बहाए गए आंसू कमजोरी के आंसू नहीं हैं, बल्कि शक्ति और वफादारी के आंसू हैं। इन दोनों शहीदों का आतंकवाद के खिलाफ जीत में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण सुरक्षा बलों के बीच एक विशेष स्थान था।
बता दें कि 3 जनवरी 2020 में इराक सरकार के आधिकारिक निमंत्रण पर बग़दाद गए ईरान के मेजर जनरल क़ासिम सुलैमानी और उनके साथियों को अमेरिका ने एक आतंकी हमले में मार डाला था जिस के बाद मीडिल ईस्ट में जंग का खतरा मंडलाने लगा था। ईरान ने क़ासिम सुलैमानी को सुपुर्दे ख़ाक करने से पहले इराक में अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य एयरबेस पर बैलिस्टिक मिसाइल बरसा कर इस अड्डे को तहस नहस कर डाला था।