सऊदी अरब को बचाने के लिए अमेरिका ने फिर ओमान से मदद मांगी यमन के खिलाफ पिछले 7 वर्षों से युद्ध छेड़ने वाले अतिक्रमणकारी सऊदी गठबंधन को अपमानजनक हांर का सामना करना पड़ रहा है।
सऊदी अरब नीत अतिक्रमणकारी गठबंधन को यमन के मआरिब में यमनी बलों के मुकाबले अपमानजनक हार का सामना करना पड़ रहा है। सऊदी ने अतिक्रमणकारी गठबंधन के लड़ाके मैदान छोड़कर भाग रहे हैं। वहीँ यमन के क़बीले भी सऊदी अरब की चालबाज़ियों को समझते हुए इस गठबंधन से अलग होकर यमन सेना एवं सरकार के आगे समर्पण कर रहे हैं।
ऐसे में एक बार फिर सऊदी अरब को बचाने के लिए अमेरिका ने वार्ता का राग अलापते हुए ओमान मध्यस्था की गुहार लगाई है। ओमान विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने अपने ओमानी समकक्ष को फोन करते हुए मुख्य रूप से यमन मुद्दे पर बातचीत की है।
फ़ार्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी विदेश मंत्री ने ओमान के साथ साझा मुद्दों पर बातचीत करते हुए विशेष रूप से यमन युद्ध को रोकने की जरूरत पर बल दिया। ओमान विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देश क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए प्रयास करने पर सहमत हैं तथा उन शर्तों पर युद्ध विराम चाहते हैं जो सब के पक्ष में हो।
इससे पहले ओमान ने ऐलान किया था कि वह यमन संकट का राजनीतिक रूप से समाधान करने के लिए प्रयास कर रहा है। यमन मामलों में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने ओमान की भूमिका को सराहते हुए कहा था कि ओमान संयुक्त राष्ट्र संघ का बेहतरीन साथी है।
सऊदी अतिक्रमणकारी गठबंधन का अंतिम गढ़ समझा जाने वाले मआरिब का अधिकांश हिस्सा यमन सेना के नियंत्रण में है। मआरिब प्रान्त की आजादी का अभियान छेड़ने वाली यमन सेना ने अब तक इस प्रांत के 12 जिलों और 14 से अधिक शहरों को आजाद करा लिया है और अब सिर्फ मआरिब शहर और अल वादी शहर ही सऊदी अतिक्रमणकारी संगठन के अधीन रह गए हैं।
इससे पहले ट्रंप कार्यकाल में अमेरिका के उप विदेश मंत्री रह चुके डेविड ने फॉरेन पालिसी के लिए लिखे गए अपने लेख में कहा था कि यमनी बल धीरे धीरे मआरिब को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं। ऐसे में कोई औचित्य नहीं बनता कि वह अपने सैन्य अभियान को रोकते हुए वार्ता की मेज पर पलट कर आएंगे। विशेषकर उन हालात में जब सऊदी अतिक्रमणकारी गठबंधन में आपसी फूट पड़ी हुई है और उसके लड़ाके मैदान छोड़कर भाग रहे हैं।