क़तर पर इज़रायल के हमले के बाद, यूएई ने इज़रायली राजदूत को तलब किया
क़तर पर इज़राइल के हालिया हवाई हमले ने पूरे अरब जगत में आक्रोश फैला दिया है। इज़रायली चैनल ‘कान’ की रिपोर्ट के अनुसार, यूएई ने अबूधाबी में तैनात तेल अवीव के राजदूत योसी शेली को तलब कर कड़ा विरोध दर्ज कराया। यह तलब सिर्फ़ औपचारिक कदम नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश है कि खाड़ी देश अब इज़रायल की मनमानी स्वीकार नहीं करेंगे।
यूएई विदेश मंत्रालय ने हालाँकि अभी तक इस तलब की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन उसने मंगलवार को ही एक बयान जारी करके इज़रायल की कार्रवाई को “कायराना हमला और क़तर की राष्ट्रीय संप्रभुता का खुला उल्लंघन” कहा था। बयान में ज़ोर दिया गया कि “यूएई क़तर के साथ खड़ा है और इस हमले की कड़ी निंदा करता है।”
इज़रायल ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए क़तर की राजधानी दोहा में हमास के वरिष्ठ नेताओं और वार्ता टीम को निशाना बनाया। यह हमला किसी सैन्य ऑपरेशन से अधिक एक राजनीतिक संदेश था कि इज़रायल अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके पूरे क्षेत्र को डराने की कोशिश कर रहा है।
इस हमले के तुरंत बाद, क़तर ने इसे संप्रभुता का उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियाँ उड़ाना बताया और क्षेत्रीय देशों से ठोस जवाबी कदम की मांग की। अरब देशों ने भी बारी-बारी से इज़रायल की निंदा की। सऊदी अरब और यूएई ने साफ़ कहा कि वे क़तर के साथ हैं और किसी भी तरह की आक्रामकता का विरोध करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सिर्फ़ क़तर को नहीं बल्कि पूरे खाड़ी क्षेत्र को चेतावनी देने की कोशिश थी। लेकिन इसके उलट नतीजे सामने आ रहे हैं— अरब देशों के बीच एकजुटता बढ़ रही है और इज़रायल को वैश्विक स्तर पर और भी अलग-थलग पड़ने का खतरा है।
यह घटना इस बात का सबूत है कि इज़रायल न सिर्फ़ ग़ज़ा बल्कि पड़ोसी देशों की सीमाओं को भी चुनौती दे रहा है, और अगर क्षेत्रीय देश सिर्फ़ निंदा तक सीमित रहे तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

