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‘रोटी, काम और स्वतंत्रता’ के नारे लगाते हुए अफ़ग़ान महिलाओं ने निकाली रैली

‘रोटी, काम और स्वतंत्रता’ के नारे लगाते हुए अफ़ग़ान महिलाओं ने निकाली रैली

लगभग 40 महिलाओं ने “रोटी, काम और स्वतंत्रता” के नारे लगाते हुए काबुल में शिक्षा मंत्रालय की तरफ मार्च किया। सत्ता में वापस आने पर किए गए वादों के बावजूद तालिबान ने हाई स्कूल की छात्राओं को स्कूल से बाहर रखने सहित अफगान महिलाओं के अधिकारों को सीमित कर दिया है।

अफ़ग़ानिस्तान में हुई रैली पर सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो में तालिबान बलों को शहर के बीचों-बीच भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चेतावनी देते हुए और महिलाओं को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया है। एएफपी समाचार एजेंसी के अनुसार पास की दुकानों में शरण लेने वाले कुछ प्रदर्शनकारियों का तालिबान ने पीछा किया और उनकी राइफल बटों से पिटाई की।

प्रदर्शनकारियों ने बैनर ले रखा था जिसमें लिखा था कि 15 अगस्त एक काला दिन है। वहीँ यह नारा भी लगाया जा रहा था कि न्याय, न्याय। हम अज्ञानता से तंग आ चुके हैं। उन में से कुछ प्रदर्शन करने वालियों ने नकाब भी नहीं पहना था। एक अन्य वीडियो क्लिप में महिलाओं के एक छोटे समूह को तालिबान द्वारा एक बंद जगह पर घेरते हुए दिखाया गया है। एक वीडियो में एक कार्यकर्ता ने कहा कि हम एक दवा की दुकान के अंदर हैं उन्होंने हमें यहां कैद कर लिया है।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि वे महिलाओं के साथ भेदभाव से थक चुके हैं। एएफपी संवाददाता ने बताया कि प्रदर्शन को कवर करने वाले कुछ पत्रकारों को भी तालिबान ने पीटा। ग़ौरतलब है कि तालिबान ने साल 2021 में 15 अगस्त में अफ्गानिस्तान पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद से यहां अमरीका के सैनिक चले गए थे। इसके बाद से अफ़ग़ानिस्तान मंदी के दौर से गुजर रहा है। यहां महिलाओं की शिक्षा पर पाबंदी है। उनके हक में कटौती की जा रही है। तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जे के बाद ही कई अफ्गानी देश छोड़ कर भाग गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेन ने 3900 अफ्गानियों को पनाह दी है।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने गुरुवार को तालिबान से महिलाओं को शिक्षा से प्रतिबंधित करने के उनके भयानक फैसले पर दोबारा विचार विमर्श करने पर आह्वान किया।

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