ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले के बाद AEOI का बयान
तेहरान से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने फ़ोर्दो, नतांज़ और इस्फहान स्थित परमाणु स्थलों पर हालिया हमलों के बाद एक सख्त और विस्तृत बयान जारी किया है। बयान में इन हमलों को ज़ायोनी शासन (इज़रायल) द्वारा अंजाम दी गई खुली आक्रामकता बताया गया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का गंभीर उल्लंघन करार दिया गया है।
AEOI ने यह भी आरोप लगाया कि यह हमला न केवल अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की उदासीनता और कुछ हद तक उसकी मिलीभगत के माहौल में किया गया है। यह आरोप अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है, विशेष रूप से तब जब यह हमले उन परमाणु स्थलों पर हुए जो IAEA की निगरानी में हैं।
बयान के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब सीधे तौर पर उन कार्रवाइयों का हिस्सा बन चुका है जो ईरान की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के विरुद्ध हैं।
AEOI ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इस “जंगल के कानून” जैसी अराजक कार्रवाइयों की कड़ी निंदा करे और ईरान के वैध और शांतिपूर्ण परमाणु अधिकारों का समर्थन करे। इसके साथ ही, संस्था ने ईरानी जनता को यह भरोसा दिलाया कि हज़ारों देशभक्त वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की मेहनत से यह उद्योग बाधित नहीं होगा।
अंत में, AEOI ने यह स्पष्ट किया कि वह कानूनी रास्तों से दुश्मनों की इस आक्रामकता का जवाब देने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी, ताकि ईरानी राष्ट्र के वैज्ञानिक, तकनीकी और संप्रभु अधिकारों की रक्षा की जा सके।

