इज़रायल के साथ सुरक्षा समझौता ज़रूरी है: अल-जूलानी
सीरिया की विद्रोही सरकार के प्रमुख, जिनके देश के दक्षिणी हिस्से का बड़ा इलाका इज़रायली क़ब्ज़े में है, इस शासन की वादाख़िलाफ़ियों और समझौतों की अनदेखी के बावजूद बोले कि, दमिश्क़ और तेल अवीव आने वाले दिनों में सुरक्षा समझौते तक पहुँच सकते हैं।
फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय डेस्क के अनुसार, सीरियाई बाग़ी नेता अबू मोहम्मद अल-जूलानी (अहमद अल-शरआ) ने कहा कि इज़रायल के साथ सुरक्षा समझौते पर बातचीत संभव है और यह आने वाले दिनों में किसी नतीजे तक पहुँच सकती है। अल-जूलानी ने इसे एक “ज़रूरत” बताया और कहा कि, अगर यह समझौता सफल होता है तो “अन्य समझौते” भी संभव हो सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका, इज़रायल के साथ समझौता करने के लिए सीरिया पर दबाव नहीं डाल रहा। उनके अनुसार इज़रायल की गतिविधियाँ अमेरिकी नीति के ख़िलाफ़ हैं, क्योंकि अमेरिका एक स्थिर और एकीकृत सीरिया चाहता है।
ये बयान उस समय दिए गए जब वे खुद देख रहे हैं कि इज़रायल रोज़ाना ग़ाज़ा में जनसंहार कर रहा है। ग़ाज़ा शहर को उसने क़ब्रिस्तान बना दिया है। इसके आलावा लेबनान की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है और वहाँ हत्याएँ व तबाही मचा रहा है, जबकि इज़रायल और बेरूत के बीच युद्ध-विराम समझौता हुआ है और इस समझौते का मुख्य गारंटर अमेरिका है, जिसने अब तक इन हमलों को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।
इज़रायल ने हाल ही में, पिछले मंगलवार, क़तर की राजधानी दोहा पर भी हमला किया था, जहाँ ग़ाज़ा संघर्ष-विराम वार्ता चल रही थी। इससे पहले भी मार्च में इज़रायल ने हमास के साथ कैदी अदला-बदली और युद्ध-विराम समझौता तोड़कर ग़ाज़ा पर अपने हमले दोबारा शुरू कर दिए थे।
अल-जूलानी ने आगे कहा कि, अभी गोलान हाइट्स के क़ब्ज़े वाले इलाक़े की क़िस्मत पर बात करना बहुत जल्दी होगा। उन्होंने यह भी बताया कि, जुलाई में सीरिया और इज़रायल केवल कुछ दिनों की दूरी पर थे सुरक्षा समझौते तक पहुँचने से, लेकिन स्वैदा प्रांत की घटनाओं ने उस वक़्त यह प्रक्रिया रोक दी।
इज़रायली मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, बीते बुधवार रात लंदन में सीरियाई बाग़ी विदेश मंत्री असद अल-शैबानी और इज़रायल के सामरिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर, साथ ही अमेरिका के विशेष दूत टॉम बराक के बीच एक लंबी बैठक हुई। यह बैठक पाँच घंटे चली, जिसमें सीरियाई पक्ष ने इज़रायल के सुरक्षा समझौते प्रस्ताव का जवाब पेश किया और बातचीत में “काफ़ी प्रगति” हुई।
इसी संबंध में, हारेट्ज़ ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि बैठक में एक अहम मुद्दा यह था कि हिज़्बुल्लाह, या इज़रायल-विरोधी किसी भी गुट को दक्षिण सीरिया में तैनात न होने दिया जाए। हारेट्ज़ ने बताया कि, प्रस्ताव का एक और अहम बिंदु यह था कि सीरियाई सेना को सीमा क्षेत्र से हटाया जाए और अन्य सुरक्षा बल मौजूद रहें, लेकिन उन्हें भारी हथियारों से लैस न किया जाए और उनकी भूमिका सिर्फ़ “क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने” तक सीमित हो।

