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अमेरिका के ‘जेन-ज़ी’ के 60% युवा हमास समर्थक, और इज़रायल विरोधी: सर्वे

अमेरिका के ‘जेन-ज़ी’ के 60 % युवा हमास समर्थक, और इज़रायल विरोधी: सर्वे

हाल ही में किए गए एक ऑनलाइन सर्वे के नतीजों ने ग़ाज़ा युद्ध पर अमेरिकी नागरिकों की राय में गहरा बँटवारा और पीढ़ीगत अंतर (जनरेशन गैप) साफ़ तौर पर दिखा दिया है। सर्वे के मुताबिक़, अमेरिका में ‘जनरेशन ज़ी’ (18 से 24 साल की उम्र वाले) में से हर 10 में से 6 युवाओं का कहना है कि वे मध्य पूर्व में जारी संघर्ष में इज़रायल के बजाय हमास का समर्थन करते हैं।

‘द हैरिस पोल’ और ‘हैरिस एक्स’ की ओर से 20 और 21 अगस्त को किए गए इस सर्वे में 2025 पंजीकृत वोटरों से पूछा गया कि “इज़रायल-हमास विवाद में आप किसका ज़्यादा समर्थन करते हैं, इज़रायल का या हमास का?” इनमें से ‘जनरेशन ज़ी’ में 60 प्रतिशत युवाओं ने हमास के पक्ष में वोट दिया। विश्लेषकों के मुताबिक़ यह फ़िलिस्तीनियों के पक्ष में अमेरिकी जनमत में महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा करता है।

इसके उलट, इज़रायल के लिए समर्थन उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता गया। 25 से 34 साल के 65%, 35 से 44 साल के 70%, 45 से 54 साल के 74%, 55 से 64 साल के 84% और 65 साल या उससे ऊपर के 89% लोगों ने हमास के मुक़ाबले इज़रायल का समर्थन किया। सर्वे में यह भी पाया गया कि लगभग आधे अमेरिकी इस बात पर बँटे हुए हैं कि क्या इज़रायल ग़ाज़ा में नरसंहार कर रहा है। हल्की बहुमत के साथ 51% लोगों ने कहा कि इज़रायल पर आलोचना, यहूदी-विरोध के कारण नहीं बल्कि फ़िलिस्तीनियों के मानवाधिकारों के प्रति चिंता से पैदा होती है।

ये नतीजे ऐसे वक़्त सामने आए हैं जब ग़ाज़ा में इज़रायल की सैन्य कार्रवाई को अगले महीने दो साल पूरे हो जाएंगे। विश्लेषकों का कहना है कि, यह सर्वे अमेरिका में बढ़ते हुए पीढ़ीगत अंतर को दर्शाता है, जहाँ युवा अमेरिकी तेज़ी से इज़रायल की कार्यवाहियों की आलोचना कर रहे हैं और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के साथ ज़्यादा हमदर्दी रखते हैं।

ग़ाज़ा नरसंहार
युद्ध-विराम की अपीलों को ठुकराते हुए इज़रायल ने ग़ाज़ा पर भीषण हमले जारी रखे हैं। 7 अक्तूबर 2023 से अब तक घिरे हुए क्षेत्र में 63,400 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएँ और बच्चे हैं। फ़िलिस्तीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘वफ़ा’ के अनुसार, लगभग 11,000 फ़िलिस्तीनी अब भी ढहे हुए मकानों के मलबे के नीचे दबे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मौतों की असली संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है और यह संभवतः 2 लाख से ऊपर पहुँच सकती है। इस नरसंहार के दौरान इज़रायल ने ग़ाज़ा पट्टी के ज़्यादातर हिस्से को खंडहर में बदल दिया और पूरी आबादी को बेघर कर दिया है। लगातार बमबारी से वहाँ भोजन की भारी कमी और बीमारियों का तेज़ फैलाव हो रहा है।

पिछले साल नवंबर में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के ख़िलाफ़ ग़ाज़ा युद्ध के दौरान कथित युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों का हवाला देते हुए गिरफ़्तारी वारंट जारी किया था। इसके अलावा, इज़रायल अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में भी नरसंहार के मुक़दमे का सामना कर रहा है।

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