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ग़ाज़ा युद्ध की शुरुआत से अब तक 54 इज़रायली सैनिकों ने की आत्महत्या: रिपोर्ट

ग़ाज़ा युद्ध की शुरुआत से अब तक 54 इज़रायली सैनिकों ने की आत्महत्या: रिपोर्ट

इज़रायली सार्वजनिक प्रसारक ‘कान’ की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 की शुरुआत से अब तक 16 इज़रायली सैनिक आत्महत्या कर चुके हैं। इसके साथ ही, अक्टूबर 2023 में ग़ाज़ा नरसंहार के बाद से आत्महत्या करने वाले इज़रायली सैनिकों की कुल संख्या 54 हो चुकी है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल अब तक आत्महत्या करने वालों में 8 सक्रिय ड्यूटी सैनिक, 7 रिज़र्व सैनिक और 1 करियर सैनिक शामिल हैं। साल 2024 में 21 सैनिकों ने आत्महत्या की थी जबकि 2023 में यह संख्या 17 थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ग़ाज़ा में इज़रायली ज़मीनी कार्रवाई के लिए बड़ी संख्या में तैनात किए गए रिज़र्व सैनिकों में आत्महत्या की दर में तेज़ बढ़ोतरी देखी गई है।

इसके अलावा, ‘कान’ के अनुसार, लगभग 3,770 सैनिकों को पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसे मानसिक रोगों की पहचान हुई है। रिपोर्ट में बताया गया कि नरसंहार की शुरुआत से अब तक घायल हुए 19,000 सैनिकों में से करीब 10,000 मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं और रक्षा मंत्रालय की पुनर्वास सेवा से इलाज ले रहे हैं।

इज़रायली सेना के अधिकारियों ने सैनिकों में बढ़ते मानसिक संकट को “चिंताजनक प्रवृत्ति” बताया है। इससे निपटने और सैनिकों में मानसिक दृढ़ता बढ़ाने के लिए सेना वर्कशॉप्स आयोजित कर रही है और युद्ध का अनुभव रखने वालों को सैन्य मनोचिकित्सकों के पास भेज रही है।

इससे पहले यदीयोत अहारोनोत नामक अखबार ने सेना के हवाले से बताया था कि एक रिज़र्व सैनिक एरियल मेर टमीन की लाश रविवार रात दक्षिणी इज़रायली स्थित उनके घर में पाई गई। मौत के कारणों की जांच चल रही है लेकिन आशंका है कि यह आत्महत्या का मामला है। सेना द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, ग़ज़ा में नरसंहार शुरू होने के बाद से अब तक 895 इज़रायली सैनिक मारे जा चुके हैं और 6,134 घायल हुए हैं। सेना पर यह आरोप भी है कि वह ग़ाज़ा में हुए बड़े जानी नुकसान को छुपा रही है।

ग़ाज़ा में फिलिस्तीनियों का नरसंहार
7 अक्टूबर 2023 से इज़रायल ने ग़ाज़ा पर भीषण हमला शुरू कर रखा है। ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक लगभग 60,000 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं। वफ़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, लगभग 11,000 लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक मौतों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है, जो दो लाख से भी पार जा सकती है।

इस नरसंहार में इज़रायल ने ग़ाज़ा के अधिकांश इलाकों को खंडहर बना दिया है और पूरी आबादी को बेघर कर दिया है। लगातार बमबारी के कारण ग़ाज़ा में खाद्य संकट और बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। पिछले नवंबर में, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षामंत्री योव गैलेंट के खिलाफ ग़ाज़ा में युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इज़रायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में भी नरसंहार का मुकदमा चल रहा है।

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