गाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए 50 अरब डॉलर की ज़रूरत
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ग़ाज़ा की तबाह अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में सहयोग देने की घोषणा की है। आईएमएफ की डिप्टी चीफ़ इकनॉमिस्ट ने कहा कि अगर इज़रायल और हमास के बीच शांति समझौता सफल होता है, तो यह पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र के लिए आर्थिक स्थिरता और पुनरुद्धार का ऐतिहासिक अवसर होगा।
उन्होंने कहा कि आईएमएफ ग़ाज़ा की पुनर्बहाली में तकनीकी और वित्तीय सहायता देने को तैयार है, क्योंकि यह न सिर्फ़ ग़ाज़ा बल्कि पड़ोसी देशों — मिस्र, जॉर्डन और लेबनान — की अर्थव्यवस्थाओं को भी मज़बूत करेगा।
आईएमएफ के आकलन के अनुसार, ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए 50 अरब डॉलर से अधिक की आवश्यकता होगी। युद्ध में बर्बाद हुए अस्पताल, स्कूल, बिजली और पानी की सप्लाई बहाल करने के साथ-साथ लाखों विस्थापित लोगों के पुनर्वास पर भी भारी खर्च आएगा। संस्था ने कहा कि यदि क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित होती है, तो विदेशी निवेश और व्यापार के अवसर भी बढ़ेंगे।
इस बीच, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जुटाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि तुर्की खाड़ी देशों, अमेरिका और यूरोपीय देशों से आर्थिक मदद मांगेगा ताकि ग़ाज़ा को जल्द से जल्द पुनर्जीवित किया जा सके। एर्दोगान ने उम्मीद जताई कि वित्तीय सहायता शीघ्र उपलब्ध होगी और इस मानवीय संकट का स्थायी समाधान निकलेगा।
तुर्की राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों द्वारा फ़िलिस्तीन को मान्यता दिए जाने को “दो-राष्ट्र समाधान” की दिशा में एक अहम कदम बताया। उन्होंने कहा कि, ग़ाज़ा की पुनर्बहाली क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अपरिहार्य है। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि अंकारा युद्ध-विराम समझौते की निगरानी के लिए गठित की जा रही “टास्क फ़ोर्स” में शामिल होगा, जो ज़मीन पर समझौते के क्रियान्वयन की निगरानी करेगी।
इस प्रकार, आईएमएफ और तुर्की दोनों के नेतृत्व में ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण की नई उम्मीदें जग उठी हैं, जो लंबे संघर्ष से तबाह क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत साबित हो सकती हैं।

