47% इज़रायली नागरिकों का, इज़रायली सेना पर विश्वास घटा
इब्रानी अख़बार मआरिव ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 7 अक्टूबर को इज़रायली शासन की सैन्य विफलता से संबंधित जांच के नतीजों की घोषणा के बाद, इज़रायली समाज में सेना पर विश्वास में भारी गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार, 47 प्रतिशत इज़रायली नागरिकों का अपनी सेना पर भरोसा कमजोर हो गया है।
7 अक्टूबर की विफलता और उसकी समीक्षा
यह जांच इस बात पर केंद्रित थी कि इज़रायली सेना हमला रोकने में कैसे विफल रही, उसकी तैयारी कैसी थी और सेना ने हमले से पहले क्या कदम उठाए थे। हमले के दौरान अल-क़स्साम ब्रिगेड्स के लड़ाकों ने बेहद कम समय में ग़ाज़ा के आसपास के कई इलाकों पर क़ब्ज़ा कर लिया, जिससे इज़रायली शासन की सैन्य असफलता दुनिया के सामने उजागर हो गई।
इब्रानी मीडिया के अनुसार, इस सैन्य हार के कारणों की समीक्षा के लिए 77 अलग-अलग जांच रिपोर्ट तैयार की गई हैं, जिन्हें चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
1- सामान्य और खुफिया जांच – इस बात की समीक्षा कि इज़रायली खुफिया एजेंसियां हमले की पूर्वसूचना देने में क्यों नाकाम रहीं।
2- फैसले लेने की प्रक्रिया – यह विश्लेषण कि 7 अक्टूबर की रात को सेना और सुरक्षा अधिकारियों ने हमले को लेकर क्या फैसले लिए थे।
3- सैन्य तैयारियां और कार्रवाई – यह जांच कि सेना ने हमले के लिए खुद को कैसे तैयार किया और हमले के दौरान उनकी प्रतिक्रिया कैसी रही।
4- रणनीतिक निष्कर्ष – इसमें पूरे सैन्य तंत्र की कमजोरियों और उनकी पुनरावृत्ति रोकने के उपायों की समीक्षा शामिल है।
सेना और सुरक्षा तंत्र की ऐतिहासिक विफलता
इन जांच ने यह स्पष्ट कर दिया कि इज़रायली सेना और खुफिया एजेंसियां इस हमले की योजना को समझने और इसे रोकने में पूरी तरह विफल रहीं। रिपोर्ट्स में यह भी माना गया कि सुरक्षा, सैन्य और खुफिया स्तर पर एक बड़ी चूक हुई, जिसके कारण इज़रायली शासन को एक बड़ा झटका लगा।
इस विफलता का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि ग़ाज़ा से सटे कई इलाकों पर बहुत कम समय में कब्ज़ा कर लिया गया और इज़रायली सेना कोई प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं दे पाई।
समाज में बढ़ती निराशा और अविश्वास
इन नतीजों के बाद ज़ायोनी समाज में सरकार और सेना के प्रति गहरी निराशा देखी जा रही है। हाल के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इस विफलता के बाद इज़रायली सेना और सरकार की विश्वसनीयता तेजी से गिर रही है और देश के भीतर सेना की नीतियों को लेकर तीखी आलोचना हो रही है।
इज़रायली शासन के लिए यह स्थिति राजनीतिक और सैन्य संकट को और गहरा कर सकती है, क्योंकि समाज में यह धारणा मजबूत हो रही है कि उनकी सुरक्षा की गारंटी देने वाली सेना अब पहले जैसी सक्षम नहीं रही।

