40 देशों ने इज़रायल की कार्रवाइयों के खिलाफ बयान जारी किया
40 देशों ने इज़रायल की कार्रवाइयों के खिलाफ एक सख्त बयान जारी किया, जिसमें यूनिफिल (UNIFIL) यानी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की गई। यह बयान उस समय आया जब दक्षिण लेबनान में इज़रायली सेना द्वारा किए गए हमलों में यूनिफिल के कई शांति सैनिक घायल हो गए। बयान में इन 40 देशों ने एकजुट होकर यूनिफिल की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की और इस मिशन का पूरा समर्थन जताया।
यूनिफिल की भूमिका की अहमियत
बयान में कहा गया, “लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के अस्थायी बलों में योगदान देने वाले देशों के रूप में, हम यूनिफिल के कार्यों और मिशन का पूरी तरह समर्थन करते हैं।” यूनिफिल की उपस्थिति को क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब लेबनान और इज़रायल के बीच तनाव और हिंसा बढ़ गई है। बयान में यह भी कहा गया कि बिगड़ते हालात के मद्देनज़र यूनिफिल की भूमिका और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है, और इसका समर्थन करना अनिवार्य है।
इज़रायल का नाम लिए बिना आलोचना
हालांकि इस बयान में सीधे तौर पर इज़रायल का नाम नहीं लिया गया, लेकिन यूनिफिल बलों पर हमलों की कड़ी आलोचना की गई और जांच की मांग की गई। बयान में बल दिया गया कि इस तरह के हमले, अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं और इन्हें “तुरंत रोकना” चाहिए। इससे स्पष्ट होता है कि ये देश इज़रायल के आक्रामक कदमों से असंतुष्ट हैं, भले ही उन्होंने इसे सीधे तौर पर ज़ाहिर नहीं किया हो।
इज़रायली हमले में घायल सैनिकों की रिपोर्ट
गौरतलब है कि हाल ही में दक्षिण लेबनान में इज़रायली सेना के हमलों में यूनिफिल के कई सैनिक घायल हुए हैं। शुक्रवार को इज़रायली सेना द्वारा किए गए हमले में यूनिफिल के दो शांति सैनिक घायल हो गए थे। इससे पहले गुरुवार को इज़रायली टैंक के हमले में दो इंडोनेशियाई सैनिक भी घायल हुए थे। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, यूनिफिल ने यह भी बताया कि दक्षिण लेबनान में उसके पांचवें सैनिक के घायल होने की सूचना मिली थी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में दुनिया के कई बड़े और महत्वपूर्ण देश शामिल हैं, जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, जर्मनी, स्पेन, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, इटली, मलेशिया, तुर्की और क़तर। इन देशों का एक साथ आकर इज़रायल की कार्रवाइयों पर सवाल उठाना इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय लेबनान और इज़रायल के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है और शांति सैनिकों पर हमले को सहन नहीं करेगा।