ईरान के पक्ष में खड़े हुए 33 देश, इज़रायल के सैन्य हमलों की कड़ी निंदा
संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण सम्मेलन (Conference on Disarmament) के 33 सदस्य देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर ईरान के खिलाफ़ इज़रायली सैन्य हमलों की तीव्र निंदा की है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ता जा रहा है और इज़रायल द्वारा ईरान की कुछ परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने की खबरें अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं।
इन देशों ने इज़रायल द्वारा किए गए हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून, IAEA के संविधान, और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन बताया। साथ ही यह भी कहा कि इन हमलों से सिर्फ ईरान नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व की शांति व स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हुआ है।
बयान में विशेष रूप से उन परमाणु ठिकानों का जिक्र किया गया है जो कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हैं और जो पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में संचालित हो रहे हैं। इन ठिकानों पर हमला सिर्फ एक संप्रभु राष्ट्र की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा पर सीधा हमला है।
इन 33 देशों ने, जिन्हें ‘ग्रुप 21’ कहा जाता है, ईरानी जनता और सरकार के साथ एकजुटता दिखाते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस तरह के हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
इस समूह में भारत, पाकिस्तान, इराक, मिस्र, ब्राज़ील, क्यूबा, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम, वेनेज़ुएला, अल्जीरिया, बांग्लादेश, सीरिया और अन्य देश शामिल हैं — जो विभिन्न महाद्वीपों से आते हैं और विकासशील देशों की आवाज़ माने जाते हैं। यह संयुक्त समर्थन ईरान की अंतरराष्ट्रीय वैधता और क्षेत्रीय स्थिति को मज़बूती देने वाला कदम माना जा रहा है, विशेषकर ऐसे समय में जब पश्चिम एशिया की कूटनीतिक स्थिति तेजी से बदल रही है।

