20 लाख ग़ाज़ा वासियों को निर्वासित नहीं किया जा सकता: इमैनुएल मैक्रों
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार की सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया, जिसमें ग़ाज़ा पट्टी के निवासियों को वहां से निकालने की बात कही गई थी। मैक्रों ने इस मुद्दे पर सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह प्रस्ताव न तो व्यावहारिक है और न ही मानवीय।
उन्होंने आगे समझाया कि, ग़ाज़ा की समस्या का समाधान एक राजनीतिक दृष्टिकोण के माध्यम से ही संभव है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा, “[ग़ाज़ा के लिए] सही दृष्टिकोण एक रियल एस्टेट प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक दृष्टिकोण होना चाहिए। हमें इस मुद्दे को संवेदनशीलता और समझदारी से हल करना चाहिए।”
उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए किसी भी योजना को लोगों या देशों का अपमान नहीं करना चाहिए। मैक्रों ने कहा, “किसी भी दृष्टिकोण का मतलब लोगों या देशों का अपमान नहीं होना चाहिए। हमें इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।”
इस प्रकार, मैक्रों ने डोनाल्ड ट्रम्प के प्रस्ताव को न केवल अव्यावहारिक बताया, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि ग़ाज़ा की समस्या का समाधान राजनीतिक और मानवीय दृष्टिकोण से ही संभव है। उनकी यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग़ाज़ा संकट को लेकर चल रही बहस में एक महत्वपूर्ण बिंदु साबित हो सकती है।
ग़ाज़ा पट्टी, जो भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है, लंबे समय से संघर्ष और अस्थिरता का केंद्र रही है। यह क्षेत्र फिलिस्तीन और इजरायल के बीच तनाव का प्रमुख कारण बना हुआ है। ग़ाज़ा में रहने वाले लाखों लोगों को बुनियादी सुविधाओं की कमी, आर्थिक संकट और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, ट्रंप का प्रस्ताव कि ग़ाज़ा के निवासियों को वहां से निकाल दिया जाए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विवादास्पद साबित हुआ है।