पी.के.के की गुफ़ा में दम घुटने से तुर्की के 12 सैनिकों की मौत
तुर्की के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को पुष्टि की कि, उसके 12 सैनिक उत्तरी इराक़ के पर्वतीय क्षेत्र में एक गुफा में दम घुटने से मारे गए हैं। यह घटना उस समय हुई जब तुर्की सेना के जवान एक पुराने मिशन के तहत पी.के.के (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी) की पूर्व गुफ़ा में दाख़िल हुए थे, जहां मीथेन गैस की उच्च मात्रा मौजूद थी।
यह गुफा समुद्र तल से 852 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और रिपोर्टों के अनुसार, इसे कभी पी.के.के द्वारा अस्थायी अस्पताल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। मीथेन—a रंगहीन और गंधहीन गैस जिसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है—इस गुफा में इस कदर भर चुकी थी कि सैनिकों का दम घुट गया। घटना में 12 जवानों की मौत हो गई, जबकि अन्य कई सैनिक गंभीर रूप से प्रभावित हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
तुर्की के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ये सैनिक एक विशेष खोजी अभियान पर तैनात थे, जिसका उद्देश्य 2022 में पी.के.के के साथ मुठभेड़ में मारे गए एक सैनिक के अवशेषों को ढूंढना था। उस सैनिक का शव दो वर्षों से नहीं मिला था।
इस घटना ने इराक़ और तुर्की के बीच पहले से चले आ रहे तनाव को फिर से उभार दिया है। बग़दाद सरकार ने एक बार फिर तुर्की की सैन्य मौजूदगी को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। इराक़ का कहना है कि तुर्की बिना उसकी अनुमति के सैन्य कार्रवाई कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है।
तुर्की का यह दावा है कि उसकी सैन्य कार्रवाईयां सिर्फ़ पी.के.के, के आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए हैं, जिसे वह एक आतंकी संगठन मानता है। लेकिन इराक़ का कहना है कि अब जब पी.के.के ने खुद को भंग करने की घोषणा कर दी है, तो तुर्की के पास अब वहां सैन्य मौजूदगी का कोई वैध कारण नहीं बचा।
इस दुखद हादसे ने एक बार फिर इराक़ में विदेशी सैन्य हस्तक्षेप की संवेदनशीलता को उजागर किया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या तुर्की को अब भी वहां अपनी उपस्थिति बनाए रखनी चाहिए?

