ग़ाज़ा की 100% आबादी भूख से मर रही है: UNRWA
फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए सहायता और कार्य एजेंसी (UNRWA) के प्रवक्ता ने अल-हदस चैनल से बातचीत में बताया कि, ग़ाज़ा पट्टी की पूरी आबादी (100%) कुपोषण का शिकार है। उन्होंने क्षेत्र में लगातार बिगड़ती मानवीय स्थिति को लेकर चेतावनी दी और कहा कि ग़ाज़ा के ज़्यादातर लोग अब अकाल के पांचवें और सबसे गंभीर चरण में प्रवेश कर चुके हैं।
UNRWA के इस अधिकारी के मुताबिक, ग़ाज़ा पट्टी की स्थिति इतनी भयावह है कि हर 10 में से एक बच्चा गंभीर कुपोषण से पीड़ित है। उन्होंने यह भी बताया कि राहत सामग्रियों के वितरण में भारी बाधाएं हैं।
उन्होंने आगे कहा:
“हम हर दिन 700 ट्रक भोजन ग़ाज़ा भेज सकते हैं, लेकिन इज़रायल इसकी इजाज़त नहीं देता।” UNRWA प्रवक्ता ने यह भी खुलासा किया कि इज़रायल ने ग़ाज़ा में इस एजेंसी के 400 राहत वितरण केंद्र बंद कर दिए हैं, जिससे ज़रूरी वस्तुओं के वितरण में गंभीर बाधा उत्पन्न हो गई है।
भूख के कारण 3 बच्चों की शहादत
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज तड़के बताया कि बीते 24 घंटों में ग़ाज़ा में 133 लोग शहीद हुए हैं। इनमें से 38 लोग वे थे जो राहत केंद्रों पर इज़रायली सैनिकों की गोलीबारी में मारे गए। मंत्रालय ने यह भी बताया कि 3 बच्चों ने गंभीर कुपोषण के कारण दम तोड़ दिया। जब एक बच्चा भूख से मरता है, तो ये सिर्फ़ भूख नहीं होती, ये एक हत्या होती है। और इस हत्या का हथियार रोटी की अनुपलब्धता नहीं, बल्कि इज़रायली शासन की बेरहम नाकेबंदी होती है।”
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNRWA ने हाल ही में जो आँकड़े दिए हैं, वे सभ्य दुनिया के लिए एक तमाचा हैं। ग़ाज़ा की 100% आबादी कुपोषण का शिकार है। कोई एक व्यक्ति भी ऐसा नहीं बचा जो इस इज़रायली घेराबंदी और बर्बरता से अछूता हो। UNRWA के अनुसार, ग़ाज़ा के लोग अब भुखमरी के पाँचवें चरण में हैं, जो अकाल के सबसे खतरनाक और जानलेवा स्तर पर माना जाता है। और सबसे दर्दनाक बात ये है कि हर 10 में से एक बच्चा गंभीर कुपोषण का शिकार है।
भूख के लिए क़तारों में मौत बँटी जा रही
पिछले 24 घंटों में ग़ाज़ा में 133 लोग शहीद हुए, उनमें से 38 वे लोग थे जो राहत सामग्री की लाइन में खड़े थे, जब इज़रायली सैनिकों ने उनपर गोलियाँ चला दीं। भूख से बेहाल लोग सिर्फ़ थोड़ी सी खाने की चीज़े लेने आए थे, और उन्हें “सुरक्षा” के नाम पर मौत दे दी गई।
ग़ाज़ा की स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि तीन छोटे-छोटे बच्चों ने भूख और कुपोषण की वजह से अपनी जान गंवाई। ये बच्चे किस ‘आतंकवाद’ का हिस्सा थे? उनका क्या कसूर था?

