यूपी के 10 हजार कर्मचारी जाएंगे इज़रायल
नई दिल्ली: इज़रायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध से दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ है। एक ओर जहां ग़ाज़ा पट्टी में 21 हज़ार से ज़्यादा निर्दोष नागरिकों की जान चली गई है, वहीं दूसरी ओर इज़रायल के कई सेक्टर भी इस युद्ध से प्रभावित हुए हैं। विशेष रूप से, फिलिस्तीनी श्रमिक जो इज़रायल में काम करते थे, उनके लिए अब इज़रायल की यात्रा करना मुश्किल हो गया है।
परिणामस्वरूप, इज़रायल में कई इमारतें और बुनियादी ढाँचे प्रभावित हुए हैं। इज़रायल में मजदूरों की भारी जरूरत है, क्योंकि फिलिस्तीनी मजदूरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए इज़रायल ने भारत सरकार को करीब एक लाख मजदूर भेजने का प्रस्ताव दिया है। इज़रायल चाहता है कि भारतीय कर्मचारी निर्माण क्षेत्र में रुके हुए काम को आगे बढ़ाएं। इसको लेकर भारत सरकार भी सक्रिय है।
बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश से 10 हजार मजदूरों को इज़रायल भेजने की तैयारी की जा रही है जो निर्माण क्षेत्र से जुड़े हैं। कई मजदूरों ने इज़रायल जाने पर सहमति भी जताई है। गौर करने वाली बात ये है कि जो मजदूर इज़रायल जाएंगे, उनकी मासिक सैलरी करीब 1.40 लाख रुपये होगी। यही वजह है कि कई मजदूर इज़रायल जाने को तैयार हो गए हैं।
जिन श्रमिकों को इज़रायल भेजा जाएगा, उनका अनुबंध न्यूनतम एक वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष के लिए किया जाएगा। चिनाई, टाइलिंग, पत्थर बिछाने और लोहे की वेल्डिंग में कुशल श्रमिकों की पहचान की गई है और उनके नाम सरकार को भेज दिए गए हैं। एक बार इन नामों को मंजूरी मिलने के बाद, अधिकारियों द्वारा उनके पासपोर्ट, वीजा और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी।
ऐसा कहा जा रहा है कि इज़रायल जाने के लिए ऐसे श्रमिकों का चयन किया जा रहा है जो कम से कम 3 वर्षों से श्रम विभाग में पंजीकृत हैं और जिनकी आयु कम से कम 21 से 45 वर्ष के बीच है। इज़रायली कंपनी पहले इन कर्मचारियों का इंटरव्यू लेगी, फिर उनके प्रस्थान की औपचारिक व्यवस्था करेगी। इज़रायल जाने वाले मजदूरों को आने-जाने का खर्च उठाना होगा।