संयुक्त राष्ट्र में सीरियाई गोलान हाइट्स से इज़रायल के बाहर निकलने के लिए प्रस्ताव पारित
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सीरियाई गोलान हाइट्स के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें इज़रायल से सुरक्षा परिषद की संबंधित प्रस्तावों को लागू करते हुए 4 जून 1967 की रेखा तक सभी कब्जे वाले सीरियाई गोलान से बाहर जाने का आग्रह किया गया है। इस प्रस्ताव को बोलिविया, क्यूबा, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मिस्र, इराक, जॉर्डन, लेबनान, ओमान, कतर, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, सूडान, सीरियाई अरब गणराज्य, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला और यमन द्वारा पेश किया गया, जिसमें इज़राइली बस्तियों को अवैध घोषित किया गया है।
इस प्रस्ताव के पक्ष में 97 वोट, विरोध में आठ (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इज़राइल, माइक्रोनेशिया, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका) और 64 देश अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि सीरिया के गोलान पर इज़रायली कब्जा क्षेत्रीय स्थिरता और दीर्घकालिक शांति की प्राप्ति में बाधा है।
ज्ञात हो कि सीरियाई गोलान दक्षिण-पश्चिमी सीरिया का एक इलाका है, जिसे 5 जून 1967 को इज़राइली सेनाओं ने कब्जा कर लिया था। आज तक, लगभग 40 साल बाद, गोलान के सीरियाई निवासी अपने घरों, कस्बों और शहरों में वापस नहीं लौट पाए हैं। गोलान के अधिकांश सीरियाई शहरों, कस्बों और गांवों को इज़रायली कब्जे वाली सेनाओं ने नष्ट कर दिया है, और इज़रायल इस क्षेत्र का भूगोल भी बदल रहा है।
भारत ने भी इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, जिसके तहत इज़रायली बस्तियों को अवैध और इसके क्षेत्राधिकार को अमान्य घोषित किया गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पश्चिम एशिया में शांति का समर्थन करने और अंतर्राष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के अपने रुख को दोहराया है। उन्होंने क्षेत्र में साझेदारी के महत्व पर जोर दिया, जिसमें तकनीकी और नवाचार में सहयोग शामिल है, जो भारत के व्यापक रणनीतिक हितों को दर्शाता है।