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फिलिस्तीनी क्षेत्रों में यहूदी बस्तियों के निर्माण में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई

 फिलिस्तीनी क्षेत्रों में यहूदी बस्तियों के निर्माण में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई

इस्राइल की मानवाधिकार फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नफ़्ताली बेनेट-यायर लैपिड की सरकार के दौरान फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में यहूदी बस्तियों के निर्माण में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इस्राइली मानवाधिकार फर्म अलसलाम अलआन ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के रूप में बेनेट की अल्पावधि सरकार के दौरान अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्रों (वेस्ट बैंक और जरूसलेम) के भीतर नई यहूदी बस्तियों के निर्माण में 62% की वृद्धि हुई है।

इस्राइली मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि बेनेट-लैपिड सरकार की अवधि के दौरान फिलिस्तीनी घरों और संपत्ति के विनाश की दर में पिछली सरकार की तुलना में 35% की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार ईश सरकार ने फिलिस्तीनी लोगों के विरुद्ध कई घातक और विध्वंसक योजनाओं को शुरू किया है जो निश्चित रूप से दो-राज्य समाधान और एक राजनीतिक समझौते पर पहुँचने की अवसर को नुकसान पहुँचाएगा।

पिछले बुधवार (22 जून), इस्राइली संसद के 120 सदस्यों में से 110 ने संसद के भंग किए जाने के पक्ष में वोट किया है। संसद भंग होने का अर्थ यह है कि पिछले साढ़े तीन वर्षों में इस्राइल में पाँचवे चुनावों की पृष्ठभूमि तैयार हो गई है, जो इस शासन में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाता है। विश्लेषकों का कहना है कि इस्राइल पिछले एक दशक से आंतरिक और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है।

इस्राइली समाचार पत्र येदिओथ अहरोनोथ ने बताया कि संसद को भंग करने पर दूसरे और तीसरे मतपत्र का मार्ग प्रशस्त करने के लिए विधेयक को अब संसद की संवैधानिक समिति के पास भेजा जा रहा है। इस सप्ताह दूसरे और तीसरे चरण का मतदान होने की संभावना है।

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