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प्रतिरोधी गुटों का मूल इमाम खुमैनी की विचारधारा है – कुवैत

प्रतिरोधी गुटों का मूल इमाम खुमैनी की विचारधारा है – कुवैत

कुवैत के राजनीतिक विशेषज्ञ का मानना है कि इमाम खुमैनी की विचार धारा आज के समय में भी किसी भी देश की प्रगति के लिए व्यवहारिक है। ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक की मृत्यु की 33वीं वर्षगांठ के अवसर पर कुवैती राजनीतिक मुद्दों के विशेषज्ञ और विश्लेषक अब्दुल्ला अल-मुसावी ने इमाम खुमैनी के गतिशील विचार का उल्लेख किया।

साथ ही उन्होंने कहा कि “इमाम खुमैनी की मृत्यु के तीन दशक से अधिक समय के बाद, उनके विचार और दृष्टिकोण इस्लाम जगत में अभी भी जीवित हैं। अंतर्राष्ट्रीय कुद्स दिवस और इस्लामी एकता के साथ साथ न पूर्व न पश्चिम” जैसे उनके विचारों इस्लामी जनता के दिलो में घर किए हुए हैं।

उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर देकर कहा कि “तथ्य यह है कि इमाम खुमैनी की मृत्यु के तीन दशक से अधिक समय के बाद भी उनके विचार और दृष्टिकोण अभी भी जीवित हैं, यह दर्शाता है कि उनकी योजना किसी भी स्थिति और समय में राष्ट्र की प्रगति के लिए उपयुक्त है।”

इमाम खुमैनी के विचारों पर रौशनी डालते हुए इस कुवैती विश्लेषक ने आगे कहाः”इमाम खुमैनी ने ज़ायोनी-अमेरिकी नेतृत्व वाले वैश्विक अहंकार के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया और अब हम अमरीकी-ज़ायोनी साजिशों के विरुद्ध प्रतिरोध की धुरी की जीत देख रहे हैं, जिसकी नींव दिवंगत इमाम ने रखी थी।”

मुसलमानों के बीच एकता पर इमाम खुमैनी के विचारों के बारे में, उन्होंने कहा: “इमाम खुमैनी ने इस्लामी एकता के महत्व पर जोर दिया, संप्रदायों के बीच तालमेल और समानताओं पर ध्यान केंद्रित किया, और चूँकि वह अपने सिद्धांतों को लेकर ईमानदार थे इसलिए वे अपने महान लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम थे।”

कुवैती विशेषज्ञ ने विश्व विकास पर इस्लामी क्रांति के प्रभाव के बारे में कहा: “इमाम खुमैनी की विचारधारा किसी भी देश और किसी समय के लिए उपयोगी है, केवल आवश्यकता इस बात की है कि हम उसको समझें और उसका पालन करें।

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