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चुनाव में हिस्सा लेने के लिए यरूशलेम के लोगों को लड़ना पड़ता है

चुनाव में हिस्सा लेने के लिए यरूशलेम के लोगों को लड़ना पड़ता है,  अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों के अनुसार अहमद बहर ने हमास के लीडर्स और फ़िलिस्तीनी विधानसभा के उपाध्यक्ष के बयान को कोड करते हुए ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा क़ुद्स में चुनाव की बात करना ख़तरे की निशानी है।

उसने विस्तार में बताते हुए कहा कि क़ुद्स में रहने वालों का चुनाव में शामिल होकर वोट करना उनका संवैधानिक अधिकार है जिसे इन इस्राईल से मांग कर नहीं लिया जा सकता है बल्कि यह अधिकार हमें इनसे लड़ के हासिल करना होगा।

अहमद बहर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फ़िलीस्तीनी प्राधिकरण के प्रमुख महमूद अब्बास के चुनाव स्थगित कराने के फ़ैसले को अस्वीकारते हुए कहा कि हमें अल-शैख़ जेराह नामी इलाक़े में रहने वालों की मदद करनी चाहिए।

उन्होंने इस इलाक़े के लोगों के इस्राईल के मुक़ाबले प्रतिरोध की मदद करने पर ज़ोर देते हुए लोगों से भी क़ुद्स की मदद का आग्रह किया।

इस फ़िलीस्तीनी अधिकारी ने इंक़ेलाबी जवानों और इस्राईल के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ उनके प्रतिरोध की सराहना करते हुए कहा कि यरूशलम में चुनाव रद्द करने का फ़ैसला डेमोक्रेसी, जनता की मर्ज़ी और ज़ायोनी दरिंदगी के मुक़ाबले उन जवानों की कोशिशों के ख़िलाफ़ है।

सफ़ा न्यूज़ एजेंसी ने अहमद बहर से बातचीत करते हुए रिपोर्ट दी कि विधानसभा अनुमति नहीं देती आगे बिना चुनाव के इसी तरह इसे बाक़ी रखा जाए, अब्बास का इरादा साफ़ है वह पार्लियामेंट के चुनाव को रद्द करने ख़ुद अकेले संगठन के प्रमुख बने रहना चाहते हैं ताकि फ़िलीस्तीन के बारे में किसी तरह के फ़ैसले को केवल अकेले ले सकें।

उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन में मौजूदा स्थिति का एकमात्र क़ानूनी और राष्ट्रीय समाधान फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के कामकाज की देखरेख के लिए स्वशासी संगठन का होना है।

इस फ़िलिस्तीनी अधिकारी ने देश के विभिन्न समूहों से आह्वान किया कि वे फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय मोर्चे के गठन के लिए काम करें और देश के राष्ट्रीय निर्णयों को ज़ायोनी क़ब्ज़े और विदेशी साज़िशों से बचाएं।

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