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चीन को घरेने को कसी कमर अरुणाचल में चल रहा है काम

चीन को घरेने को कसी कमर अरुणाचल में चल रहा है काम  भारत सरकार ने चीन की आक्रमक नीतियों का जवाब देने के लिए कमर कस ली है।

चीन का मुकाबला करने एवं उसकी आक्रमक नीतियों का जवाब देने के लिए भारत अरुणाचल प्रदेश में अपने बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर पर नई सुरंग पर तेजी से काम चल रहा है। इन सुरंगों के पूरा होते ही भारतीय सेना किसी भी मौसम में सीमा क्षेत्रों में आसानी से पहुंचने में सक्षम होगी एवं संपर्क साधने में भी आसानी होगी।

इन सुरंगों का काम पूरा होते ही तवांग तक सैन्य संसाधनों एवं हथियारों की आवाजाही एवं सेना के पहुंचने का मार्ग बेहद आसान हो जाएगा। भारतीय सेना दुश्मन का मुकाबला करने के लिए सीमा के पास सड़को, पुलों एवं हेलीकॉप्टर बेस बनाने के साथ साथी गोला बारूद के भूमिगत भंडार को मजबूती देने की दिशा में तेजी से काम कर रही है।

हालांकि कहा जा रहा है कि इसकी योजना काफी पहले ही बनाई गई थी लेकिन हाल ही में चीन के साथ चल रहे गतिरोध को देखते हुए इन परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा रहा है।

एलएसी पर चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए भारतीय जवान जम कर पसीना बहा रहे हैं। तेज़ी से जारी निर्माण कार्य के बावजूद भी रक्षा संस्थाओं से जुड़े सूत्र स्वीकार करते हैं कि रक्षा बुनियादी ढांचे के मामले में चीन हमसे एक दशक आगे हैं। हम बेहद पिछड़ चुके हैं। चीन पिछले कई वर्षो से एलएसी के साथ लगे अपने बुनियादी ढांचे को बेहतर करने में लगा हुआ है।

वह एलएसी के समीप बेहतर सड़क संपर्क मार्ग का निर्माण कर चुका है। उसके पास से बेहतरीन बुनियादी ढांचा है। अब चीन की आक्रमकता का सामना करने के लिए इस स्थिति को बदला जा रहा है। भारत इस क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है।

सूत्रों की मानें तो पिछले 3 वर्षों में सीमा क्षेत्र से लगे भारतीय क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में काफी बदलाव आया है। अगले 1 साल के बाद चीजें बदल चुकी होंगी। बुनियादी ढांचे में सुधार आएगा। सैन्य अधिकारियों को लगने लगा था कि यह काम बेहद जरूरी हो गया है।

एलएसी पर चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए पूर्वी लद्दाख में अधिक सैनिकों को तैनात किया गया है तथा सेना की तैनाती के पैटर्न में भी बदलाव किए गए हैं। बता दें कि लद्दाख में 832 किलोमीटर लंबी एलएसी की निगरानी १४वीं कोर की डिवीज़न करती है वहीँ पूर्वी कमान की 1346 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा का प्रभार दो कोर को दिया गया है। यह क्षेत्र वर्तमान में यह देश का सबसे सुरक्षा वाला क्षेत्र बन गया है।

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