अलीगढ़ में पुलिस की गोली से घायल महिला इशरत निगार की मौत
यूपी के अलीगढ़ में दरोगा की गोली से घायल महिला की उपचार के दौरान मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई है। पांच दिन बाद देर रात इलाज के दौरान महिला ने दम तोड़ दिया। 20,000 का इनामी भगोड़ा दरोगा अभी फरार भी है।
अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने बताया कि आठ दिसंबर को पुलिस चौकी में दारोगा मनोज शर्मा की पिस्टल से चली गोली इशरत निगार (55) के सिर में लग गई थी। उनका यहां जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज चल रहा था। बुधवार रात उनकी मौत हो गई।
इस मामले में दरोगा को लापरवाही भरे अंदाज में पिस्टल सौंपने वाले मुंशी सुदीप कुमार को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। दरोगा की गिरफ्तारी पर 20 हजार रुपये इनाम घोषित करने के बाद उसके पोस्टर सभी जिलों में डीसीआरबी के जरिये भिजवाए जा रहे हैं। एसएसपी ने इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के लिए कई टीम भी गठित कर रखी हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पिछले दिनों इशरत निगार पासपोर्ट वेरीफिकेशन के लिए थाने गई थीं। इस दौरान महिला जब थाने में बैठी हुई थी, तभी तभी दारोगा की लापरवाही से फायर हो गया। इशरत के सिर में गोली लगी और वे जमीन पर गिर गई थीं। लेकिन परिजनों ने पैसे नहीं देने पर दारोगा पर गोली मारने का आरोप लगाया था।
ये पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई. घटना के बाद दारोगा मनोज कुमार मौके से फरार हो गए। सूचना मिलने पर भारी पुलिस बल के साथ एसएसपी कलानिधि नैथानी ऊपरकोट कोतवाली पहुंचे। महिला को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जहां महिला की हालत 6 दिन तक गंभीर बनी रही। और 13 दिसंबर की देर रात इलाज के दौरान महिला ने दम तोड़ दिया।
महिला के परिजनों और उसके रिश्तेदारों में इस घटना को लेकर काफी रोष है। सभी इसे रिश्वत का मामला बता रहे हैं। पुलिस अधीक्षक ने उचित कार्यवाई का आश्वासन दिया है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए महिला को थाने क्यों बुलाया जबकि नियमानुसार पुलिस को घर जाना चाहिए था। थानेदार ने लोड की हुई पिस्टल क्यों मंगाई ? उस पिस्टल का मुंह महिला की तऱफ क्यों रखा ? क्या चंद रुपए एक महिला की जान से ज़्यादा महत्त्व रखते थे ?