सरफ़राज़ ख़ान के चयन का मुद्दा संसद की खेल समिति में उठाएँगे: ज़िया-उर-रहमान बर्क़
सपा सांसद ज़िया-उर-रहमान बर्क़ ने कहा है कि, अगर यह साबित हुआ कि सरफ़राज़ ख़ान को उनके धर्म की वजह से टीम से बाहर किया गया है, तो वे यह मामला संसद की स्थायी समिति (Standing Committee) ऑन स्पोर्ट्स में उठाएँगे। उनका यह बयान उस वक़्त आया है जब सरफ़राज़ के चयन न होने पर राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। कई लोगों ने, जिनमें शमा मोहम्मद भी शामिल हैं, आरोप लगाया है कि सरफ़राज़ को उनके “सरनेम” की वजह से नज़रअंदाज़ किया गया।
शमा मोहम्मद ने एएनआई से बातचीत में कहा — “अगर किसी खिलाड़ी का प्रदर्शन अच्छा हो और फिर भी उसे धर्म के आधार पर टीम से बाहर किया जाए, तो यह साफ़ तौर पर हमारे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।” उन्होंने आगे कहा, “अगर ऐसा हुआ तो मैं, जो संसद की खेल समिति का सदस्य हूँ, इस मुद्दे को वहाँ ज़रूर उठाऊँगा।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अब तक किसी खिलाड़ी को सिर्फ़ धर्म के आधार पर टीम से नहीं निकाला गया है। “हर धर्म और जाति के खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है, और मुस्लिम समुदाय ने भी हमेशा गर्व से इस भूमिका को निभाया है,” उन्होंने जोड़ा।
सरफ़राज़ को टीम में शामिल नहीं किए जाने पर विवाद
पिछले पाँच सालों में सरफ़राज़ ख़ान ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 110.47 की औसत से खेलते हुए पाँच अर्धशतक और दस शतक बनाए हैं तथा 2500 से ज़्यादा रन अर्जित किए हैं। इसके बावजूद उन्हें दक्षिण अफ्रीका ‘ए’ के ख़िलाफ़ होने वाली भारत की आगामी सीरीज़ के लिए चयनित नहीं किया गया। जब बीसीसीआई ने बेंगलुरु में होने वाले दो चार-दिवसीय मैचों के लिए टीम घोषित की, तो अगले दिन शमा मोहम्मद ने ‘एक्स’ पर लिखा —
“क्या सरफ़राज़ ख़ान को उनके सरनेम की वजह से नहीं चुना गया?” उन्होंने हैशटैग “#JustAsking” के साथ लिखा, “हम जानते हैं कि इस मुद्दे पर गौतम गंभीर की राय क्या है।” सरफ़राज़ ने आख़िरी बार भारत की ओर से नवंबर 2024 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ में खेला था। उनका टेस्ट डेब्यू फ़रवरी 2023 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ हुआ था, जब रोहित शर्मा टीम के कप्तान थे।
शमा मोहम्मद अकेली नहीं हैं जो बीसीसीआई के फ़ैसले पर सवाल उठा रही हैं। सरफ़राज़ की फिटनेस अब बेहतर है और उन्होंने घरेलू स्तर पर लगातार शानदार प्रदर्शन किया है। पूर्व भारतीय क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने भी निराशा जताई और कहा कि उन्हें सरफ़राज़ के लिए “बहुत बुरा” लग रहा है, जैसे उनके लिए “दरवाज़े बंद कर दिए गए हों।” अपने यूट्यूब चैनल ‘अश की बात’ पर उन्होंने कहा, “मैं सरफ़राज़ के चयन न होने की वजह नहीं समझ पा रहा हूँ। उन्होंने वजन घटाया, रन बनाए, फिर भी टीम में जगह नहीं मिली। अगर मैं उसकी जगह होता तो मुझे भी ऐसा लगता कि चयनकर्ता अब मुझे देखना नहीं चाहते।”
बीजेपी का जवाब, “भारत को धर्म के आधार पर बाँटना बंद करें”
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने शमा मोहम्मद के “सरनेम” वाले बयान पर कड़ा रिएक्शन दिया। उन्होंने कहा कि इसी टीम में दो मुस्लिम खिलाड़ी — मोहम्मद सिराज और खलील अहमद — खेल रहे हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “यह महिला और इनकी पार्टी बीमार हैं। रोहित शर्मा को मोटा कहने के बाद अब ये लोग हमारी क्रिकेट टीम को भी धर्म के आधार पर बाँटना चाहते हैं? क्या देश का बँटवारा करके भी आपका मन नहीं भरा?”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत को धर्म और जाति के आधार पर बाँटना बंद करें। इसी टीम में मोहम्मद सिराज और खलील अहमद भी हैं!”
पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन ने भी शमा मोहम्मद के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारतीय क्रिकेट व्यवस्था का अपमान है। उन्होंने कहा, “मैं इस सिस्टम का हिस्सा रहा हूँ, और एक पूर्व खिलाड़ी के तौर पर मुझे शर्म आती है कि किसी पार्टी प्रवक्ता ने ऐसा कहा। हमारे पड़ोसी देशों में खिलाड़ियों को जीने के लिए धर्म बदलना पड़ा, लेकिन भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ। अगर राजनीतिक पार्टियाँ खिलाड़ियों को मोहरा बनाएँगी तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
वासन ने कहा, “जब भी भारत में खेल के मैदान में धर्म का कार्ड खेला जाता है, मेरा दिल दुखता है। हमने कभी किसी खिलाड़ी को उसके धर्म या जाति से नहीं आँका, असली मायने में अहमियत खिलाड़ी की काबिलियत की होती है। भूलिए मत — भारत को मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने 12 साल कप्तानी दी है। आज भी मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज टीम में हैं।” हालांकि उन्होंने यह भी माना कि “मेरी निजी राय में सरफ़राज़ को टीम में होना चाहिए था, लेकिन यह मुद्दा सिर्फ़ क्रिकेट का है — इसे धर्म से जोड़ना पूरे सिस्टम का अपमान है।”

