क्यों गिरती जा रही है हमारी नैतिकता?: सुप्रीम कोर्ट
विधायकों का पाला बदल कर एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाना अब एक आम बात हो गयी है। हैरत की बात तो ये है कि पाला बदलने से पहले हर विधायक, सांसद ,और नेता अपनी विरोधी पार्टियों पर जमकर हमले करता है, आरोप लगाता है लेकिन जब विपक्षी पार्टी में शामिल हो जाता है तो उसी पार्टी के समर्थन में प्रशंसा करने लगता है। विधायकों और सांसदों के पाला बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पड़ी करते हुए ऐसे नेताओं , विधायकों,और सांसदों को फटकार लगाई है।
गोवा में विधायकों के दलबदल पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अब हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है। शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली गोवा कांग्रेस के नेता गिरीश चोडनकर की याचिका को अगले साल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
इससे पहले 2019 में कांग्रेस और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) से बीजेपी में शामिल होने वाले गोवा विधानसभा के 12 सदस्यों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और हिमा कोहली की पीठ से मामले को स्थगित करने का आग्रह किया, क्योंकि उनके वरिष्ठ किसी अन्य अदालत में थे। पीठ ने सवाल किया, “चूंकि अगला चुनाव हो चुका है, तब क्या यह निष्फल नहीं हो गया है?”
वकील ने तर्क दिया कि इसमें विशेष रूप से महाराष्ट्र की स्थिति की पृष्ठभूमि के खिलाफ कानून का एक बड़ा सवाल शामिल है। वकील ने कहा कि हाल ही में कांग्रेस के नौ विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे और इस मामले में शामिल बड़े कानूनी प्रश्न पर विचार करने के लिए अदालत पर दबाव डाला। इस दौरान जस्टिस शाह ने कहा, “अब हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है!” पीठ ने मामले की सुनवाई अगले साल के लिए निर्धारित की, ताकि वह कानूनी सवालों पर विचार कर सके।