लोकसभा चुनाव में “NDA बनाम INDIA ” में किसका पलड़ा भारी
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए विपक्ष की दूसरी जबकि सत्ताधारी दल की पहली बैठक कल ख़त्म हो गयी। 2024 लोकसभा चुनाव “एनडीए बनाम इंडिया” होने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा नेतृत्व ने पिछले कई दिनों से अपने बयानों और कार्यों से यह साबित कर दिया है कि वह विपक्ष के पीछे भाग रहे हैं। पिछले दस साल में पहली बार ऐसा लग रहा है कि विपक्ष आगे है और सत्ता पक्ष पिछड़ता नजर आ रहा है।
सत्ता पक्ष कई चीजों से पीछा छुड़ाने का आभास दे रहा है, लेकिन जिस दिन विपक्ष की बैठक होने वाली थी, उसी दिन सत्ता पक्ष ने भी अपने गठबंधन की बैठक बुला ली। और जिस तरह से प्रधानमंत्री ने विपक्षी गठबंधन की आलोचना की, उससे उन्होंने विपक्षी गठबंधन का ही प्रचार किया, साथ ही साथ विपक्ष के मज़बूत होने पर भी मुहर लगा दी। यह पहला अवसर है जब पब्लिक और मीडिया में केंद्र सरकार की बैठक से ज़्यादा विपक्षी गठबंधन की चर्चा हो रही है। उसका कारण है हर राज्य के प्रमुख दलों की अलग विचारधारा होने के बाद भी महागठबंधन (INDIA) में एक साथ जमा हो जाना।
इतना ही नहीं उन्होंने विपक्ष की बैठक वाले दिन ही अपनी बैठक की, बल्कि इसके जिस गठबंधन के नाम पर वह सरकार में आए, उसकी बैठक भी उन्होंने कभी नहीं बुलाई और पहली बार पटना में हुई विपक्ष की पहली बैठक के बाद ही बैठक बुलाई। में पहले सत्र के बाद जिस तरह से एनसीपी टूटकर सरकार में शामिल हुई, यह सभी बातें सत्ताधारी दल के पीछे हटने और पीछे होने की ओर इशारा करती हैं।
दस साल बाद आम चुनाव किसी भी सरकार के लिए बहुत मुश्किल होते हैं क्योंकि सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश सातवें आसमान पर होता है। मीडिया के समर्थन ने सत्तारूढ़ दल के लिए शासन करना थोड़ा आसान बना दिया, लेकिन शासन के सवाल पर लोगों ने केंद्र में सत्तारूढ़ दल के खिलाफ मतदान किया और यहां तक कि प्रधान मंत्री मोदी के नाम पर भी वोटिंग नहीं की। इसका स्पष्ट प्रमाण हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक हैं, जहां जनता ने भाजपा से सत्ता छीनकर कांग्रेस को सौंप दी। वह भी तब जब गुजरात चुनाव बीजेपी ने बंपर तरीके से जीता था। इन चुनावों के नतीजों ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर भी सवाल उठाए हैं।
वैसे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की “भारत जोड़ो यात्रा” की सफलता के बाद ही विपक्ष, खासकर कांग्रेस को सत्ता पक्ष को मात देने की उम्मीद नज़र आने लगी थी, लेकिन इस बात की उम्मीद कम ही थी कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता इतनी तेजी से कम होगी। अब लोग सवाल करने लगे हैं कि जो व्यक्ति कुछ दिन पहले जिस पार्टी और नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण दे रहा था, उसकी पार्टी उन्हीं नेताओं के नेताओं के साथ मिलकर सरकार बना रही है। जो नेता कल तक अपने बारे में कहता था कि, “एक अकेला सब पर भरी” उसे अचानक गठबंधन की याद आती है और कुछ दिन बाद ही वह गठबंधन की बैठक बुलाता है, यानी कहीं न कहीं सत्ताधारी दल और उसके नेतृत्व के विश्वास में जबरदस्त कमी हो गई है।
बेंगलुरु में संपन्न हुई विपक्ष की बैठक में गठबंधन के नाम ने न सिर्फ गठबंधन को आगे ला दिया है, बल्कि सत्ताधारी गठबंधन को भी झटका दे दिया है। गठबंधन के नए नाम ‘INDIA’ यानी भारत से यह साफ हो गया है कि अतीत में सत्ताधारी दल अपने विरोधियों पर हमला करने के लिए जिन बातों का इस्तेमाल करता था, विपक्ष ने इस बार उसे घेर लिया है। नए नाम में राष्ट्रवाद, प्रगति सभी को एक साथ केंद्र में रखा गया है और इसका संक्षिप्त रूप ऐसा रखा गया है कि सत्तारूढ़ दल के लिए इसका विरोध करना बहुत मुश्किल हो जाएगा और इसीलिए सभी नेता खासकर ममता बनर्जी ने कहा है कि ‘ क्या वह भारत को चुनौती देंगे। नाम की घोषणा के तुरंत बाद, सत्तारूढ़ दल ने इसकी काट के लिए ‘भारत’ शब्द पेश करना शुरू कर दिया, लेकिन विपक्ष ने प्रधानमंत्री द्वारा ‘डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया दिए गए नामों के बारे में सत्तारूढ़ गठबंधन पर सवाल उठाना शुरू कर दिया।
गठबंधन के नए नाम के बाद साफ है कि विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर पहली जीत हासिल कर ली है, अब देखना यह है कि क्या भारत की जनता भी उन्हें अपना समर्थन देती है। फ़िलहाल यह चरम पर है और सत्तारूढ़ दल उनका पीछा कर रहा है और विपक्षी गठबंधन ने बढ़त हासिल कर ली है। उन्होंने चुनौती दी है कि ‘अगर पकड़ सकते हो तो हमें पकड़ लो।
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