जब महात्मा गांधी पर फ़िल्म बनी, तब दुनिया भर में लोगों ने उन्हें जाना: पीएम मोदी

जब महात्मा गांधी पर फ़िल्म बनी, तब दुनिया भर में लोगों ने उन्हें जाना: पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, महात्मा गांधी पर जब फिल्म बनी तब लोगों ने उनके बारे में जाना। कहा, इससे पहले गांधी को कौन जानता था। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में इंटरव्यू देते हुए उन्होंने ये बात कही। उन्होंने कहा, ये बात मैं पूरी दुनिया में घूमने के बाद कह रहा हूं। पीएम ने कहा, महात्मा गांधी को दुनिया तब तक नहीं जानती थी, जब तक की उनके बारे में एक फिल्म नहीं बनी।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी एक महान आत्मा थे। तो क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जाने। उन्होंने आगे कहा, ‘अगर दुनिया मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला को जानती है तो गांधी उनसे कम नहीं थे और आपको यह स्वीकार करना होगा। मैं दुनिया भर की यात्रा करने के बाद यह कह रहा हूं कि गांधी और उनके माध्यम से भारत को मान्यता मिलनी चाहिए थी।

टीवी इंटरव्यू का वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी की आलोचना की। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर ‘महात्मा गांधी की विरासत को नष्ट करने’ का आरोप लगाया। रमेश ने एक्स पर लिखा कि ‘ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहां 1982 से पहले महात्मा गांधी को दुनिया भर में मान्यता नहीं मिली थी।

अगर किसी ने महात्मा गांधी की विरासत को नष्ट किया है, तो वह खुद प्रधानमंत्री हैं। यह उनकी सरकार है जिसने वाराणसी, दिल्ली और अहमदाबाद में गांधीवादी संस्थानों को नष्ट कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘जिनके वैचारिक पूर्वज नाथूराम गोडसे के साथ महात्मा गाँधी जी की हत्या में शामिल थे, वो बापू द्वारा दिए गए सत्य के मार्ग पर कभी नहीं चल सकते। अब झूठ झोला उठाकर जाने वाला है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, “सिर्फ ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ के छात्र को ही महात्मा गांधी के बारे में जानने के लिये फिल्म देखने की ज़रूरत रही होगी।”

वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने भारत सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी का ज़िक्र करते हुए ही कहा है, ‘गांधी जी पर पहली किताब, उनकी जीवनी 1909 में लिखी गई थी दक्षिण अफ़्रीका में। लेखक एक अंग्रेज़ पादरी थे – रेवरेंड डोके। गांधीजी उसके छह साल बाद भारत लौटे थे। तब तक वे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में जाने जा चुके थे, आज की भाषा में सेलेब्रिटी बन चुके थे। वैसे तो आज के भक्त विद्वानों के आगे बेचारे आइंस्टाइन क्या हैं लेकिन उन जैसे छोटे-मोटे विज्ञानी जब गांधी के बारे में अभूतपूर्व शब्दों में प्रशंसा कर रहे थे तब एटनबरो की फ़िल्म ‘गांधी’ का विचार भी पैदा नहीं हुआ था।’

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