बच्चे को उसके धर्म के कारण पीटने का आदेश देना कैसी शिक्षा है: सुप्रीम कोर्ट
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर के एक स्कूल में एक शिक्षिका द्वारा कथित तौर पर एक मुस्लिम छात्र को उसके सहपाठी छात्र द्वारा थप्पड़ मारने के लिए उकसाने के मामले सुप्रीम कोर्ट ने बहुत तल्ख़ टिप्पड़ी की है।
कोर्ट ने जांच के तरीकों और दर्ज एफआईआर में आरोप हटाने को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई है। सुनवाई कर रही पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में संवेदनशील शिक्षा भी शामिल है। जिस तरह की यह घटना हुई है उससे राज्य की अंतरात्मा को झकझोर देना चाहिए।
लॉ से जुड़ी खबरों की वेबसाइट बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि, जिस तरह से एफआईआर दर्ज की गई उस पर हमें गंभीर आपत्ति है। पिता ने एक बयान दिया था जिसमें आरोप लगाए गए थे कि मुस्लिम छात्र को उसके धर्म के कारण पीटा गया था। लेकिन एफआईआर में इसका उल्लेख नहीं है। पीठ ने पूछा कि वीडियो ट्रांसक्रिप्ट कहां है?
वहीं इस दौरान यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने अदालत को बताया कि मामले में ‘सांप्रदायिक कोण’ को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।उनकी दलील पर न्यायमूर्ति ओका ने पलटवार करते हुए कहा कि यह सिर्फ कुछ नहीं, बहुत गंभीर है। शिक्षक ने बच्चे को उसके धर्म के कारण पीटने का आदेश दिया। यह कैसी शिक्षा दी जा रही है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की जांच का नेतृत्व राज्य सरकार द्वारा नामित एक वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अधिकारी इस बात की जांच करें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत इस मामले में नफरत फैलाने वाले भाषण का अपराध बनता है या नहीं।सुप्रीम कोर्ट महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें संबंधित स्कूल शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा, इस अधिनियम के तहत बच्चों के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न पर पूर्ण प्रतिबंध है। यदि माता-पिता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है, तो यह सबसे खराब रूप है। यदि किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है, तो किसी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पीड़ित बच्चे के साथ-साथ सहपाठियों को एक पेशेवर काउंसलर द्वारा बेहतर काउंसलिंग दी जाए। कोर्ट ने राज्य को एक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया था कि वह आरटीई अधिनियम के तहत अपराध के पीड़ित को उसकी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नए स्कूल में स्थानांतरित करने और उसकी सुरक्षा के लिए क्या सुविधाएं प्रदान करेगी।