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टूलकिट होता क्या है ? दिशा रवि से लेकर ग्रेटा थनबर्ग तक क्यों है पुलिस की निगाहों में

भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर जब विदेश सेलेब्रिटियों ने ट्वीट करना शुरू किया तो उन में स्वीडन की जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं। उन्होंने गत 3 फरवरी को अपने ट्विटर अकाउंट से एक टूलकिट शेयर किया था। टूलकिट के साथ ही उन्होंने एक संदेश भी लिखा कि अगर आप भारत में आंदोलन कर रहे किसानों का सहयोग करना चाहते हैं तो इस टूलकिट यानी डाक्युमेंट की मदद ले सकते हैं। ग्रेटा ने हालाँकि बाद में यह ट्वीट डिलीट कर करते हुए अगले दिन एक और टूलकिट पोस्ट की और साथ में संदेश दिया कि वह पुरानी थी अब नई भेजी जा रही इस टूलकिट का ही इस्तेमाल करें।

इस टूलकिट को विद्रोह पैदा करने वाला दस्तावेज बताते हुए दिल्ली पुलिस ने इसके लेखकों के खिलाफ आईपीसी की धारा-124ए, 153ए, 153, 120बी के तहत केस दर्ज कर लिया। हालांकि, इसमें किसी का नाम शामिल नहीं किया गया था लेकिन अफवाह उड़ी कि ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ केस दर्ज हुआ है, जिसका दिल्ली पुलिस ने खंडन किया। आरोप है कि इसी टूलकिट को बेंगलुरू की दिशा रवि ने एडिट किया है।

होती क्या है टूलकिट ?
किसी भी मुद्दे को समझाने के लिए बनाया गए गूगल डॉक्यूमेंट को “टूलकिट” कहते हैं। यह इस बात की जानकारी देता है कि किसी समस्या के समाधान के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए? यानी इसमें एक्शन प्वाइंट्स दर्ज होते हैं। इसे ही टूलकिट कहते हैं। इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया के संदर्भ में होता है, जिसमें सोशल मीडिया पर कैम्पेन स्ट्रेटजी के अलावा वास्तविक रूप में सामूहिक प्रदर्शन या आंदोलन करने से जुड़ी जानकारी दी जाती है।

इसमें किसी भी मुद्दे पर दर्ज याचिकाओं, विरोध-प्रदर्शन और जनांदोलनों के बारे में जानकारी शामिल हो सकती है। इस समय दुनिया भर में अलग-अलग हिस्सों में जो भी आंदोलन हो रहे हैं, चाहे वो अमेरिका से शुरू होकर दुनिया भर विशेष कर यूरोप में जगह बनाने वाला ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ हो, या फिर अमेरिका का ‘एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट’ या फिर दुनियाभर में ‘क्लाइमेट स्ट्राइक कैंपेन’, सभी मामलों में उन आंदोलनों से जुड़े लोग टूलकिट के जरिए ही ‘एक्शन पॉइंट्स’ तैयार करते हैं, और आंदोलनों को आगे बढ़ाते हैं।

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