यौन उत्पीड़न के आरोपी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का राजभवन के सभी कर्मचारियों को निर्देश, कोलकाता पुलिस का कोई भी आदेश न माने
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। आरोप लगाया है राजभवन की एक महिला कर्मी ने। महिला ने हेयर स्ट्रीट थाने में बोस के ख़िलाफ़ लिखित शिकायत दी है। /राज्यपाल पर ये आरोप तब लगे हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के दौरे पर थे। 2 मई यानी वो दिन जब राज्यपाल पर आरोप लगे, उसी दिन पीएम मोदी राजभवन पहुंचे थे। इधर, राज्यपाल ने महिला के आरोपों को ग़लत बताया है। उनका कहना है कि उन्हें बदनाम करने की साज़िश रची जा रही है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने रविवार को एक्स पर एक लंबा चौड़ा बयान जारी किया। जिसमें उन्होंने राजभवन के सभी कर्मचारियों को निर्देश दिया कि वे उन पर लगे छेड़छाड़ के आरोपों के संबंध में कोलकाता पुलिस का कोई भी आदेश न माने। एक महिला कर्मचारी ने राज्यपाल आनंद बोस के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत की है। पश्चिम बंगाल राज्यपाल कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। राज्यपाल बोस इसी प्रोटोकॉल का फायदा उठा रहे हैं।
राज्यपाल ने ्अपने निर्देश में लिखा है- “यह साफ है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 (2) और (3) के मद्देनजर, राज्य पुलिस माननीय राज्यपाल के खिलाफ किसी भी तरह की पूछताछ/जांच/किसी भी तरह की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकती है।” राज्यपाल ने कहा, ”उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत से गिरफ्तारी या मुकदमे की कोई प्रक्रिया जारी नहीं की जा सकती।”
राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए कोलकाता पुलिस ने आठ सदस्यीय टीम गठित की है। मामले में जांच को आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने राजभवन से सीसीटीवी फुटेज मुहैया कराने को कहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि पुलिस टीम जांच के तहत अगले कुछ दिनों में गवाहों से भी बात करेगी।
यह पूछने पर कि राज्यपाल को सांविधानिक छूट मिलने के बावजूद पुलिस जांच कैसे शुरू कर सकती है, एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि किसी भी शिकायत, खासकर किसी महिला से शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू करना एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत किसी राज्यपाल के पद पर होने के दौरान उनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है। पुलिस के मुताबिक, डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखर्जी के नेतृत्व वाली आठ सदस्यीय जांच टीम की तरफ से राजभवन के ओसी को एक पत्र भेजा गया है जिसमें सीटीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है।