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हमने लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं देने का रवैया अपनाया है: सुप्रीम कोर्ट

हमने लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं देने का रवैया अपनाया है: सुप्रीम कोर्ट

लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले यानी आज सुप्रीम कोर्ट में चुनावी प्रक्रिया को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई थी कि मतदान खत्म होने के 48 घंटे के भीतर चुनाव आयोग केंद्र-वार मतदान प्रतिशत डेटा अपलोड करें। अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17 C की कॉपी अपलोड करे। इस मामले में चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल कर याचिका का विरोध किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 48 घंटे के अंदर बूथ वाइज वोटिंग डेटा और फॉर्म 17सी डेटा अपलोड करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। TMC नेता महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने यह याचिका लगाई थी।

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोकसभा चुनाव के 5 फेज की वोटिंग हो चुकी है। बेंच ने कहा- अब सिर्फ दो फेज की ही वोटिंग बाकी हैं। ऐसे में डेटा अपलोडिंग के लिए मैनपावर जुटाना चुनाव आयोग के लिए मुश्किल होगा।

काेर्ट ने कहा, हमने लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं देने का रवैया अपनाया है। जस्टिस दत्ता ने मौखिक टिप्पणी में कहा, हमें संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एडीआर की ओर से इस बारे में 2019 में लगाई गई मूल याचिका पर चुनाव के बाद नियमित बेंच में सुनवाई होगी।

जस्टिस दत्ता ने कहा, वोटर टर्नआउट ऐप पर वोटिंग डेटा अपलोड करना आयोग के लिए आ बैल मुझे मार जैसा हो गया है, पहले वैधानिक जरूरत नहीं होते हुए ऐसा किया। अब जब वोटिंग डेटा 48 घंटे में सार्वजनिक करने की मांग हो रही है तो आयोग हिचकिचा रहा है।

बता दें कि, लोकसभा चुनाव शुरू होने के बाद वोटिंग के दिन चुनाव आयोग वोटर टर्नआउट जारी करता है। इसके कुछ दिन बाद वह इस फेज के फाइनल डेटा जारी करता है। कांग्रेस, ADR और तृणमूल ने दोनों डेटा में अंतर आने के बाद ही सवाल उठाए और सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।

याचिका के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद 30 अप्रैल को फाइनल वोटिंग पर्सेंट जारी किया था। इसमें वोटिंग के दिन जारी शुरुआती आंकड़े के मुकाबले वोटिंग पर्सेंट लगभग 5-6 प्रतिशत ज्यादा था।

चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में मतदान के बाद वोटिंग प्रतिशत के आंकड़ों में किसी भी तरह के अंतर के आरोपों को पूरी तरह से गलत बताते हुए खारिज किया है। चुनाव आयोग का कहना है कि मतदान प्रतिशत और वोटर टर्नआउट डेटा में गड़बड़ी के आरोप भ्रामक, झूठे हैं।

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