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राजनीतिक दलों के वादों पर नहीं लगा सकते रोक : चुनाव आयोग

राजनीतिक दलों के वादों पर नहीं लगा सकते रोक :चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा हम राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त उपहार देने के वादों पर रोक नहीं लगा सकते है।

देश मेंइन दिनों ज्यादातर राजनीतिक दलों की तरफ से फ्री की चीजें और सुविधाएं दिये जाने का चलन काफी बढ़ गया है। हालांकि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख इख्तियार कर लिया है। राजनीतिक दलों की ओर से मुफ्त का सामान देने पर पार्टीयों की मान्यता रद्द करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुच गया है।

चुनाव से पहले या चुनाव के बाद फ्री का सामान देने का वादा करने वाली पार्टीयों की मान्यता रद्द किए जाने कि याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चुनाव ओयोग ने हलफनामा दाखिल किया है। हालाकि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा हम पार्टियों के मुफ्त उपहार के वादे पर रोक नहीं लगा सकते है। ऐसा करना आयोग के अधिकार से बाहर है। मुफ्त उपहार देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला है। अदालत पार्टियों के लिए गाइडलाइन तैयार कर सकती है।

चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे वादों पर राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति चुनाव आयोग के पास नहीं है। यह बात देश की जनता को सोचनी  चाहिए ऐसे वादों का अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा।

चुनाव आयोग ने कहा कि वर्तमान में उसके पास ऐसे वादों को लेकर राजनीतिक दल के पंजीकरण को रद्द करने की शक्ति नहीं है। और कहा कि राज्य की जनता को इसपर फैसला लेना चहिये की क्या ऐसे फैसलों से आर्थिक रूप से सही है या अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

निर्वाचन आयोग ने कहा किचुनाव आयोग राज्य की नीतियों और निर्णयों का विनियमन नहीं कर सकता है जो विजयी दल द्वारा सरकार बनाने पर लिए जा सकते हैं। इससे पहले जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा था सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के मुफ्त उपहार देने से वादे पर चिंता भी जताई थी।

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