वोडाफोन आइडिया को एजीआर मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत
सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया को राहत देते हुए सोमवार को सरकार को टेलीकॉम ऑपरेटर के लंबित एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू (एजीआर) के 5606 करोड़ रुपये के वित्तीय वर्ष 2016-17 के बकायों का पुनः मूल्यांकन करने और समझौता करने की अनुमति दी। सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह मामला केंद्रीय सरकार की नीति क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिससे केंद्र के लिए विवादित दावों पर पुनर्विचार का रास्ता साफ हो जाता है।
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली बेंच ने वोडाफोन आइडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, जिसमें विभागीय टेलीकम्युनिकेशन (DOT) द्वारा उठाए गए एजीआर से संबंधित नए दावों को चुनौती दी गई थी। बेंच ने यह भी नोट किया कि याचिका में वित्तीय वर्ष 2016-17 के अतिरिक्त दावे को रद्द करने की कोशिश की गई थी और सभी बकायों की पूरी तरह से पुनः समीक्षा की मांग की गई थी।
वोडाफोन आइडिया और उसके 20 करोड़ ग्राहकों में सरकार के 49 प्रतिशत इक्विटी हिस्से को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि केंद्र को इस मामले पर पुनर्विचार करने से रोकने की कोई वजह नहीं है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से पेश होते हुए बेंच को सूचित किया कि केंद्र सरकार अब कंपनी में अपनी आंशिक हिस्सेदारी और उसमें शामिल सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए वोडाफोन आइडिया की प्रतिनिधित्व की समीक्षा करने के लिए तैयार है। उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार अब वोडाफोन आइडिया में 49 प्रतिशत इक्विटी रखती है और 20 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को टेलीकॉम सेवाएं प्रदान करती है, जिससे इसके वित्तीय स्थिरता को राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बना दिया गया है।
एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू (एजीआर) वह आंकड़ा है जिसका उपयोग टेलीकॉम कंपनियों द्वारा सरकार को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम शुल्क का हिसाब लगाने के लिए किया जाता है।

