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उत्तर प्रदेश: बिजनौर के स्कूल में धार्मिक भेदभाव विवाद के बाद चार शिक्षकों का तबादला

उत्तर प्रदेश: बिजनौर के स्कूल में धार्मिक भेदभाव विवाद के बाद चार शिक्षकों का तबादला

उत्तर प्रदेश: बिजनौर जिले के भनीरा गाँव के करतपुर ब्लॉक के एक अपर प्राइमरी स्कूल के चार शिक्षकों का, उनके प्रधानाध्यापक सहित, तबादला कर दिया गया है। यह तबादला एक विवाद के बाद किया गया। मामला एक कथित वीडियो से शुरू हुआ जिसमें दिखाया गया था कि एक शिक्षिका, तनवीर आयशा, स्कूल की छात्राओं के माथे से तिलक पोंछकर हटा रही हैं।

इस घटना के तुरंत बाद, जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति की जांच में इस घटना की पुष्टि हो गई, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षिका आयशा तनवीर और उषा को निलंबित कर दिया गया, जबकि एक अन्य शिक्षक, मुख्तार अहमद अंसारी, और प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार की एक वर्ष के लिए पदोन्नति रोक दी गई। इन चारों का किसी और स्कूल में तबादला कर दिया गया है, जबकि उनकी जगह नए शिक्षकों को भेजना अभी बाकी है।

इन सभी शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई स्कूल में धार्मिक भेदभाव का प्रदर्शन करने के आधार पर की गई है। अंसारी को स्कूल समय में बच्चों को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की अनुमति देने के लिए, जबकि उषा पर आरोप था कि उन्होंने तिलक विवाद के बाद मुस्लिम छात्रों के सिर से टोपी उतरवाई थी। इस रिपोर्ट के संबंध में, बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने कहा कि ये सभी शिक्षक स्कूल में धार्मिक वैमनस्यता फैलाने के दोषी पाए गए हैं। नाज़ुक मनोवृत्तियों को विकृत करने की ये प्रवृत्तियाँ अत्यंत खतरनाक हैं, इसलिए उन्हें इस अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

इस बीच, निलंबित शिक्षिका आयशा का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। उन्होंने कभी किसी बच्चे के माथे से तिलक नहीं हटाया। उन्होंने कहा, “मैं अधिकारियों से निवेदन करूंगी कि मेरा सेवा रिकॉर्ड बेदाग रहे। मैं इस स्कूल में 18 साल से शिक्षण कार्य कर रही हूँ, मेरा रिकॉर्ड साफ-सुथरा है।” ज्ञात हो कि यह मामला 24 अगस्त का है, जब एक शिक्षिका पर बच्चों के तिलक हटाने का आरोप लगा।

26 अगस्त को बच्चों के अभिभावकों ने इस मामले के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए स्कूल के प्रधानाध्यापक कुमार के सामने शिकायत की। लेकिन उन्होंने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके परिणामस्वरूप जिलाधिकारी ने एक समिति गठित की, जिसकी रिपोर्ट 31 अगस्त को सार्वजनिक हुई।

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