यूएससीआईआरएफ ने का भारत को “विशेष चिंता वाला देश” घोषित करने का आह्वान
अमेरिकी संसद द्वारा गठित अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने लगातार दूसरे साल भारत समेत चार देशों विशेष चिंता वाले देश घोषित करने की सिफारिश की है।
आयोग का आरोप है भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति 2020 में भी नकारात्मक बनी रही। इन देशों में पाकिस्तान समेत म्यांमार, चीन, इरीट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल हैं। आयोग ने भारत के अलावा रूस, सीरिया और वियतनाम को भी विशेष चिंता वाले देश (कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न) घोषित करने की सिफारिश की है।
रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक अमेरिका के एक स्वतंत्र संघीय सरकारी आयोग ने शुक्रवार को बाइडेन प्रशासन से विदेशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को कथित रूप से निशाना बनाने का हवाला देते हुए अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भारत को “विशेष चिंता वाला देश” घोषित करने का आह्वान किया।
इस संघीय सरकारी आयोग का नाम अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) है। उसने कहा कि “विदेश में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को चुप कराने के भारत सरकार के हालिया प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।”
यूएससीआईआरएफ के आयुक्त स्टीफन श्नेक ने कनाडा में सिख कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की कथित संलिप्तता और अमेरिका में एक अन्य सिख कार्यकर्ता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश को “बेहद परेशान करने वाला” बताया।
अमेरिकी कांग्रेस के भारतीय-अमेरिकी सदस्यों ने भी शुक्रवार को कहा कि खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश रचने के आरोपी एक भारतीय नागरिक के खिलाफ आरोप “बहुच चिंताजनक” हैं और अगर अमेरिकी संबंधों को उचित रूप से संबोधित नहीं किया गया तो भारत को काफी नुकसान होगा।
एक संयुक्त बयान में, पांच भारतीय-अमेरिकी सांसदों – अमी बेरा, प्रमिला जयपाल, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और श्री थानेदार ने कहा, “अभियोग में लगाए गए आरोप बेहद चिंताजनक हैं।” पन्नू की कथित हत्या की साजिश में निखिल गुप्ता को दोषी ठहराए जाने पर न्याय विभाग द्वारा बाइडेन प्रशासन के क्लासीफाइड ब्रीफिंग के बाद यह बयान जारी किया गया है।
वाशिंगटन में भारतीय दूतावास से रॉयटर्स ने टिप्पणी का अनुरोध किया लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। भारत सरकार ने नियमित रूप से हिंदू-बहुल देश में किसी भी तरह के भेदभाव से इनकार किया है।