संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर, मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला
संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार के खिलाफ एकबार फिर से मोर्चा खोल दिया है। किसान मोर्चा ने किसान-मजदूर जनजागरण अभियान चलाने का ऐलान किया है। इसके तहत घर-घर जाकर लोगों को सरकार के झूठे वादे और झूठे प्रचार के बारे में बताया जाएगा। यह अभियान 10 से 20 जनवरी 2024 तक चलाया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच सीटीयू ने गुरुवार को दिल्ली में एक बैठक की। ये बैठक, नई दिल्ली में श्रमिकों और किसानों के पहले संयुक्त अखिल भारतीय सम्मेलन (24 अगस्त 2023) में चर्चा की गईं मांगों, भविष्य के अभियानों और कार्यों की समीक्षा के लिए हुई।
एसकेएम ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी। इसमें बताया गया है कि कॉर्पोरेट विकास पर मोदी सरकार के झूठे प्रचार का जवाब दिया जाएगा। मीटिंग के बाद किसान और मज़दूर संगठनों ने ऐलान किया कि वे भविष्य में साझा संघर्ष करते हुए फरवरी में रेल रोको आंदोलन करेंगे और केंद्र सरकार के कार्यालयों के सामने धरना प्रदर्शन भी करेंगे। उन्होंने सरकार पर मज़दूर-किसान विरोधी होने के आरोप लगाया।
एसकेएम का लक्ष्य भारत के 30.4 करोड़ घरानों में से 40% घरों तक पहुंचने का लक्ष्य है। सीटीयू और एसकेएम ने सरकार पर कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान सरकार की ओर से राष्ट्रीय संपत्ति और वित्त को मुट्ठी भर निजी कॉरपोरेट को सौंप दिया गया और भारतीय लोकतंत्र की सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है।
सीटीयू ने अपने बयान में कहा कि “यह सरकार मेहनतकश लोगों के जीवन और आजीविका पर लगातार हमले कर रही है और विभिन्न कानूनों, कार्यकारी आदेशों और नीतिगत अभियानों के माध्यम से श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी और जन-विरोधी कदम उठा रही है। सरकार लोगों के विभिन्न वर्गों के सभी लोकतांत्रिक दावों और असहमति की सभी आवाजों को दबा रही है।
केंद्र सरकार मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला करती है और पीड़ितों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपी अपराधियों को बचाती है, जिससे कानून-व्यवस्था पर लोगों का भरोसा कम होता है।” बयान में आगे कहा गया, “हमने देखा है कि श्रमिकों और किसानों के विभिन्न वर्ग और जनता के अन्य वर्ग पहले से ही केंद्र सरकार की ग़लत नीतियों के ख़िलाफ़ कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहे हैं।
मीटिंग के बाद केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, फेडरेशनों, एसोसिएशनों और एसकेएम के संयुक्त मंच ने संयुक्त रूप से 16 फरवरी को विभिन्न रूपों में पूरे भारत में श्रमिकों और किसानों की बड़े पैमाने पर लामबंदी का संयुक्त आह्वान किया। संगठनों ने जानकारी दी कि उनके साझे आंदोलन में रेल रोको, जेल भरो, ग्रामीण बंद, जुलूस और केंद्र सरकार के कार्यालयों के सामने धरना प्रदर्शन शामिल है।