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पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग़ पहलवान ने दोबारा बयान दर्ज कराया

पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग़ पहलवान ने दोबारा बयान दर्ज कराया

इंडियन एक्सप्रेस की मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएफआई  के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नाबालिग पहलवान ने अपने आरोप वापस ले लिए हैं।

नाबालिग पहलवान ने बृजभूषण के खिलाफ न सिर्फ दिल्ली पुलिस के सामने अपने आरोप दोहराए, बाद में धारा 164 के तहत होने वाले बयान में भी यौन उत्पीड़न के आरोपों को दोहराया। लेकिन अब नाबालिग पहलवान ने फिर से धारा 164 में अपने बयान दर्ज कराए हैं। समझा जाता है कि उसने पिछले आरोपों को नहीं दोहराया, जो पॉक्सो एक्ट में आते हैं।

अब यह तय करना अदालत पर निर्भर रहेगा कि वो 164 के किस बयान को सबूत के रूप में स्वीकार करती है। नाबालिग पहलवान के पहले बयान में चूंकि बाल यौन उत्पीड़न के आरोप हैं और अगर अदालत ने उसे स्वीकार किया तो बृजभूषण की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। लेकिन अदालत ने अगर बाद वाले धारा 164 के बयान को स्वीकार किया तो बृजभूषण को बहुत बड़ी राहत इस केस में मिल जाएगी।

नाबालिग पहलवान ने दिल्ली पुलिस में जो एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसे इंडियन एक्सप्रेस और बाकी मीडिया ने रिपोर्ट भी किया था। इंडियन एक्सप्रेस की उस रिपोर्ट के अनुसार, नाबालिग के पिता ने कहा था कि “वो (उनकी बेटी) पूरी तरह से परेशान थी और अब शांति से नहीं रह सकती…आरोपी (बृजभूषण) ने उसका यौन उत्पीड़न जारी रखा, जिससे वो परेशान हो गई।

नाबालिग ने अपनी शिकायत में कहा था कि आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह ने, “उसे कसकर पकड़कर एक फोटो खींचने का नाटक करते हुए उसे अपनी ओर झुका लिया, उसके कंधे को जोर से दबाया और फिर जानबूझकर… उसके स्तनों पर हाथ फेरा। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक नाबालिग ने 10 मई को मजिस्ट्रेट के सामने मुलजिम बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाओं का विवरण देते हुए अपना पहला बयान दर्ज कराया था।

एफआईआर के अनुसार, सिंह पर बाल यौन अपराधों के लिए बने कड़े POCSO अधिनियम की धारा 10 और IPC की धारा 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 354A (यौन उत्पीड़न), 354D के तहत मामला दर्ज किया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा, “मैं हैरान नहीं हूं। ऐसे मामलों में गिरफ्तारी में सोची-समझी देरी शिकायतकर्ता को दबाव में डालती है। इस तरह के संघर्ष लंबे और दर्दनाक होते हैं। जब महिलाएं ऐसे मामलों में सामने आती हैं, तो वे अपना जीवन और करियर दांव पर लगा देती हैं।

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