SIR के खिलाफ कोलकाता में TMC का 4 किलोमीटर लंबा मार्च
चुनावी सूचियों की विशेष व्यापक समीक्षा (SIR) को लेकर चुनाव आयोग के फैसले पर राजनीतिक विवाद के बीच, मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बड़े प्रदर्शन का नेतृत्व किया। लगभग 4 किलोमीटर लंबी रैली में उनके साथ पार्टी के जनरल सेक्रेटरी अभिषेक बनर्जी और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे। यह रैली दोपहर 2 बजे रेड रोड से शुरू होकर सेंट्रल एवेन्यू तक गई और लगभग एक घंटे तक चली।
रैली के दौरान ममता बनर्जी ने कहा, “2026 के विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में चुपचाप हेराफेरी के लिए SIR का राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं है, उसी तरह हर बंगाली बोलने वाला बांग्लादेशी नहीं है। उन्होंने कहा, “SIR असल में एक ‘छिपी हुई धोखाधड़ी’ है, इसलिए हम इसका विरोध बिहार में शुरू होने से ही कर रहे हैं।”
TMC की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि पार्टी नेतृत्व लगातार दावा कर रही है कि यह BJP की साजिश है, जिसका उद्देश्य असली वोटरों के नाम वोटर सूची से हटवाना है। पार्टी ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हमारा प्रदर्शन नागरिकों के इस मूल अधिकार का बचाव करने के लिए है, जो उन्हें वोटर सूची में शामिल होने की गारंटी देता है। TMC ने चिंता जताई कि, चुनाव आयोग की इस समीक्षा के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
TMC का दावा है कि SIR शुरू होने के बाद से ही कुछ लोगों ने वोट का अधिकार खोने के डर से आत्महत्या करने की खबरें दी हैं। उन्हें इस बात का डर भी है कि जरूरी दस्तावेज़ न होने पर उन्हें निर्वासित भी किया जा सकता है।
ध्यान रहे कि ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने 4 नवंबर से फॉर्म जमा करने के लिए घर-घर दौरा शुरू कर दिया है। इसी मुद्दे पर उत्तर 24 परगना से TMC की सांसद ममता बाला ठाकुर ने 5 नवंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की भी घोषणा की है। उनका मांग है कि SIR प्रक्रिया के दौरान किसी भी ‘मातुआ’ वोटर का नाम चुनावी सूची से हटाया न जाए।
चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि SIR का दूसरा चरण पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों में होगा, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। यह प्रक्रिया 4 दिसंबर तक चलेगी। चुनाव सूची का मसौदा 9 दिसंबर को जारी किया जाएगा, जबकि अंतिम सूची 7 फरवरी को प्रकाशित होगी।
कांग्रेस शुरू से ही SIR प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग और BJP पर हमलावर है। राहुल गांधी ने वोट चोरी का आरोप लगाया है और उन्होंने बिहार में इसका विरोध करते हुए ‘वोटर अधिकार यात्रा’ भी निकाली थी। उनका कहना है कि चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि इसके माध्यम से विपक्ष के समर्थक मतदाताओं के नाम वोटर सूची से हटाने की साजिश की जा रही है।
यूपी की प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी SIR को लेकर महत्वपूर्ण मांग रखी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यह बड़ी प्रक्रिया है। हम चाहते हैं कि SIR में एक कॉलम और बढ़ाया जाए, जिससे जाति आधारित जनगणना की जा सके।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, “SIR के बाद भी बिहार की वोटर लिस्ट में 5 लाख डुप्लीकेट वोटर्स हैं। इससे पता चलता है कि SIR के माध्यम से बिहार में बड़ी चुनावी धोखाधड़ी हुई है।” उन्होंने आरोप लगाया

