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कोलकाता में डॉक्टर की हत्या पर की सड़कों पर उतरीं हजारों महिलाएं, न्याय की मांग

कोलकाता में डॉक्टर की हत्या पर की सड़कों पर उतरीं हजारों महिलाएं, न्याय की मांग

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में बुधवार की रात को एक ऐतिहासिक और उग्र विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जब हजारों महिलाएं सड़कों पर उतरीं। यह विरोध पिछले सप्ताह कोलकाता के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए बर्बर बलात्कार और हत्या के खिलाफ था। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है, और महिलाओं के आक्रोश ने इसे एक जन आंदोलन का रूप दे दिया है।

सोशल मीडिया से सड़कों तक फैलता आंदोलन
यह विरोध प्रदर्शन, जो मुख्य रूप से सोशल मीडिया पर शुरू हुआ था, स्वतंत्रता दिवस समारोह के अंत के बाद रात 11:55 बजे एक संगठित तरीके से शुरू हुआ। इस प्रदर्शन ने न केवल कोलकाता के प्रमुख क्षेत्रों में बल्कि पूरे राज्य के छोटे-बड़े कस्बों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सड़कों पर उतरीं महिलाओं ने “वी वांट जस्टिस” के नारों से आकाश गूंजा दिया। यह प्रदर्शन उन तमाम महिलाओं की एकजुटता का प्रतीक बन गया, जो अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए लड़ रही हैं।

राजनीतिक झंडों पर प्रतिबंध, हाशिए पर खड़े समुदायों का स्वागत
विरोध के दौरान राजनीतिक दलों के झंडों पर प्रतिबंध लगाया गया था, ताकि इस आंदोलन का राजनीतिकरण न हो सके। हालांकि, एलजीबीटी+ और अन्य हाशिए पर खड़े समुदायों के झंडों का स्वागत किया गया, जो इस आंदोलन में एक समावेशीता का संकेत था।

महिलाओं की आजादी की नई लड़ाई: रुमझुम सिन्हा
इस पूरे विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली रुमझुम सिन्हा ने इसे “महिलाओं की आजादी की नई लड़ाई” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह घटना महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है, और इस आंदोलन का उद्देश्य है कि महिलाओं को उनकी सुरक्षा और अधिकार मिलें।

वायरल पोस्टर और हिलाल के चाँद की प्रतीकात्मकता
विरोध प्रदर्शन के दौरान एक खास पोस्टर भी वायरल हुआ, जिसमें हिलाल के चाँद को पकड़े हुए लाल हाथ की प्रतीकात्मकता दिखी। यह प्रतीक पूरे आंदोलन का एक हिस्सा बन गया, जो अब राज्य के विभिन्न जिलों और कस्बों में फैल चुका है। प्रारंभिक सभाओं का आयोजन कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट, एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स, और जादवपुर बी 8 बस स्टैंड में किया गया।

महिलाओं की एकजुटता और न्याय की पुकार
विभिन्न पृष्ठभूमि से जुड़ी महिलाएं – चाहे वे छात्र हों, पेशेवर हों या गृहणियां – सभी ने इस विरोध में हिस्सा लिया और एक साथ मिलकर पीड़िता के लिए न्याय की मांग की। इस विरोध प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि जब बात महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की होती है, तो समाज के हर वर्ग से आवाज उठती है। इस आंदोलन ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए एक नई उम्मीद जगाई है।

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